पेट्रोल डीजल को जीएसटी में लाने पर स्विटजरलैंड से बड़ी खबर आई है. एबीपी न्यूज से पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि राज्यों में सहमति बनाकर पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाने की कोशिश करेंगे. उन्होंने कहा है कि अभी राज्यों को चिंता है कि उनके हिस्से के टैक्स का क्या होगा.
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ‘’पिछले तीन महीने से लगातार क्रूड ऑयल के दाम बढ़कर 70 डॉलर तक पहुंच गए हैं. ये अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी है. कांग्रेस की सरकार में भी वही था, आज भी वही है.’’ उन्होंने कहा, ‘’कमोडिटी के दाम जब बढ़ते हैं तो पेट्रोलियम के दाम भी बढ़ते हैं.इसलिए भारत में दाम अभी बढ़े हुए हैं.’’
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ‘’दो महीने पहले हम एक्साइज ड्यूटी कलेक्ट कर रहे थे. हमने राज्य सरकारों से भी हमने एक्साइड ड्यूटी घटाने की अपील की है. कुछ राज्यों ने घटाई लेकिन कुछ ने नहीं.’’ उन्होंने कहा, ‘’राज्य अपना टैक्स दर घटाए. धीरे धीरे पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे के अंदर लेकर आएंगे.’’
क्यों महंगा है तेल?
बता दें कि पेट्रोल औऱ डीजल को जीएसटी से बाहर रखा गया है. वहीं पेट्रोल औऱ डीजल पर एक्ससाइज ड्यूटी समेत कई टैक्स लगते हैं. राज्य अपनी-अपनी सुविधा को देखते हुए तेल पर दाम तय करते हैं. गौर करने वाली बात यह है कि पेट्रोल के दाम सरकारें तय नहीं करती हैं. बल्कि तेल कंपनियां कच्चे तेल के दाम तय करती हैं. आपको बता दें कि पेट्रोल और डीजल के दाम रोज रात 12 बजे के बाद बदल जाते हैं.
37 रु लीटर वाला पेट्रोल 80 रू लीटर क्यों बेचती है सरकार?
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- मुंबई वाले एक लीटर पेट्रोल के लिए अभी 80 रुपए 10 पैसे दे रहे हैं, लेकिन यही पेट्रोल देश में जनता को 47 रुपए 47 पैसे प्रति लीटर का मिल सकता है.
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- दिल्ली वाले अभी पेट्रोल के लिए प्रति लीटर 72 रुपए 23 पैसे खर्च कर रहे हैं. लेकिन देश की जनता को प्रति लीटर पेट्रोल पर 24 रुपए 76 पैसे की राहत मिल सकती है.
दरअसल 37 रुपए के पेट्रोल की कीमत 80 रुपए के पार इसलिए चली जाती हैं, क्योंकि 43 रुपए तक का टैक्स केंद्र और राज्य की सरकारें ही एक लीटर पेट्रोल पर जनता से ले लेती हैं. हांलाकि सरकार दावा करती रही है कि रोज पेट्रोल और डीजल के दामों में फेरबदल करने की रणनीति से जनता को फायदा होगा. इसीलिए 16 जून से देश में रोज पेट्रोल और डीजल की कीमत घटने बढ़ने लगीं.
रिसर्च में पता चला है-
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- 1 दिसंबर से अब तक 32 बार पेट्रोल की कीमत बढ़ी ही है.
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- 1 दिसंबर से अब तक पेट्रोल 2.86 रुपए प्रति लीटर महंगा हुआ है.
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- 1 दिसंबर से अब तक डीजल की कीमत में 42 बार इजाफा थोड़ा थोड़ा करके हुआ.
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- 1 दिसंबर से अब तक डीजल की कीमत में 4 रुपए 79 पैसे प्रति लीटर बढ़ोतरी हुई.
तेल की महंगाई कैसे बढ़ती है, तेल का दाम तय कैसे होता है?
देश में तेल की कीमत तय करने के तीन पैमाने होते हैं. पहला पैमाना कच्चे तेल की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कितनी है ? दूसरा पैमाना रुपए और डॉलर का एक्सचेंज रेट क्या है, क्योंकि तेल डॉलर में खरीदना पड़ता है. तीसरा पैमाना अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल-डीजल का रेट क्या है ?
अभी तेल महंगा होने की वजह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 68 डॉलर प्रति बैरल हो गया है. मई 2015 के बाद से कच्चा तेल सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचा है.
अगर तेल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए तो पेट्रोल कितना सस्ता पड़ सकता है?
GST की तीन दरें हैं, जिसके तहत पेट्रोल की कीमत को देखा जा सकता है.
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- अगर पेट्रोल पर 12 फीसदी की दर से जीएसटी लगा तो 72 रुपए का पेट्रोल 41 रुपए 54 पैसे प्रति लीटर जनता को पड़ेगा.
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- अगर पेट्रोल पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगा तो 43 रुपए 76 पैसे प्रति लीटर जनता को देना पड़ेगा.
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- अगर 28 फीसदी भी जीएसटी लगा दिया जाए जो कि सिर्फ लग्जरी आइटम पर लगता है, जबकि तेल लग्जरी आइटम नहीं बल्कि जरूरी चीज है. तो भी 28% जीएसटी के साथ पेट्रोल की कीमत 47 रुपए 47 पैसे ही पड़ेगी.
यानी दिल्ली में 72 रुपए, मुंबई में 80 रुपए का पेट्रोल खरीदने वाली जनता को सिर्फ 47 रुपए 47 पैसे देने पड़ेंगे. यानी बोझ थोड़ा थोड़ा आए, या एक साथ. महंगाई का बोझ तो जनता की जेब पर ही आ रहा है. यही वजह है जनता अब सरकार से तेल की महंगाई पर सवाल पूछ रही है