केंद्र की मोदी सरकार राशन कार्ड को लेकर एक बड़ी बंदिश खत्म करने जा रही है. जो लोगों को एक बड़ी राहत देगा. सरकार ने खाद्य सुरक्षा कानून के तहत राशन लेने के लिए गांव, जिला या प्रदेश की सारी सीमाओं समाप्त करने का फैसला लिया है. सरकार के इस बड़े फैसले के बाद राशन लाभार्थी देश में किसी भी पीडीएस की दुकान से सब्सिडी पर चावल और गेहूं की खरीदारी कर सकेंगे. जिस तरह अब मोबाइल फोन के सिम में पोर्टेबिलिटी की सुविधा है उसी तरह अब राशन कार्ड को भी पोर्टे करने की फैसिलिटी लागु होने जा रही है.
सरकार 2020 तक राष्ट्रीय स्तर पर यह योजना लागू करना चाहती है. उपभोक्ता मंत्रालय इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट ऑफ पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (आईएम-पीडीएस) तैयार कर रही है. इस पर करीब 127 करोड़ रुपये खर्च आएगा. इसके तहत पूरे देश में पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क बनेगा. फर्जी कार्डों को खत्म करने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल पोर्टेबिलिटी लागू होगी.
पूरे देश में करीब 24 करोड़ राशन कार्ड हैं. इनमें से 82% राशनकार्ड आधार से लिंक हो चुके हैं. अभी सिर्फ छत्तीसगढ़, हरियाणा, तेलंगाना और कर्नाटक में किसी भी पीडीएस की दुकान से राशन लेने की सुविधा है. राज्य के अंदर और राष्ट्रीय स्तर पर पोर्टेबिलिटी के लिए राशन कार्ड का आधार से लिंक होना जरूरी है, ताकि कार्ड की नकल ना हो सके. सरकार ने पिछले तीन साल में 2 करोड़ 75 लाख नकली राशनकार्डों को निरस्त किया है. इस समय पूरे देश में 05 लाख 27 हजार पीडीएस दुकानें हैं. अब तक 02 लाख 94 हजार दुकानों पर ईपीओएस लग चुकी है.
प्वाइंट ऑफ सेल मशीन होना जरूरी: नई व्यवस्था लागू करने के लिए पीडीएस की सभी दुकानों पर प्वाइंट ऑफ सेल मशीन होनी जरूरी है. यह मशीन सीधे सर्वर से जुड़ी होती है. कोई लाभार्थी किसी दुकान से राशन ले लेता है, तो तुरंत उसका डाटा अपडेट हो जाता है. देशभर में पांच लाख 27 हजार पीडीएस की दुकानें हैं. करीब 3 लाख दुकानों पर ईपीओएस लग चुकी है. बाकी में इस साल के अंत लग जाएंगी.
लाभार्थी को एक आवेदन करना होगा. इस पर तय वक्त के अंदर कार्रवाई करते हुए लाभार्थी का राशन उस राज्य को आवंटित कर दिया जाएगा, जहां लाभार्थी जा रहा है. इसके बाद लाभार्थी दूसरे राज्य की किसी भी पीडीएस की दुकान से सस्ती दर पर खाद्यान्न ले सकता है. मालूम हो कि खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में देश के करीब दो तिहाई आबादी आती है. जिन्हें तीन रुपये किलो चावल और दो रुपये किलो की दर से गेहूं के रूप में हर माह पांच किलो खाद्यान्न दिया जाता है.