पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा को लेकर यह कहा जा रहा है कि वो अपनी ही पार्टी से लम्बे समय से नाराज चल रहे है. उनकी नाराजगी का अंदाजा उनके द्वारा पार्टी की लीक से हटकर दिये गये बयानों से भी लगाया जा सकता है. उसके बाद बुधवार को उन्होंने बीजेपी की सबसे बड़ी विरोधी माने जाने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात कर एक अगल ही संकेत दिया है, जो बीजेपी के लिए अगले चुनाव में नुकसानदायक साबित हो सकता है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है की सिन्हा अगला लोकसभा चुनाव किसी दूसरी पार्टी के टिकट पर लड़ सकते हैं.
बिहारी के बाबू के नाम से मशहूर श्री सिन्हा ये भी कह चुके हैं कि जिस दिन से मोदी सरकार बनी है, तभी से उनके साथ अच्छा बर्ताव नहीं हो रहा है. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि वो पटना साहिब सीट से ही चुनाव लड़ेंगे, जहां से वो इस समय सांसद हैं. उन्होंने कहा, “मेरे पास दूसरी पार्टियों से प्रस्ताव हैं. मेरे लिए इस बात का कोई मतलब नहीं है कि मैं अपनी पार्टी, किसी और पार्टी या निर्दलीय तौर पर जनता की सेवा करूं.”
आगे उन्होंने कहा, “पिछले लोकसभा चुनाव (2014) में भी इस तरह की अफवाह थी कि मुझे बीजेपी से टिकट नहीं मिलेगा. लेकिन मुझे टिकट मिल गया. बिल्कुल अंतिम समय में मेरे नाम की घोषणा की गई.”
उन्होंने अपने इस बड़े बयान में यह भी कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में अच्छे खासे मतों से उन्होंने जीत दर्ज की थी, इसलिए कोई कारण नहीं बनता कि उन्हें टिकट न दिया जाए. जब उनसे पूछा गया कि क्या उनके साथ पार्टी में खराब बर्ताव हुआ है तो उन्होंने ‘हां’ में उत्तर दिया.
उन्होंने ये भी कहा कि चूंकि वो मेरे लोग हैं इसलिए मैं बाहरी लोगों के सामने उनके खिलाफ नहीं बोल सकता. मेरी पार्टी को पता है कि इससे मुझे दुख होता है और ये सिर्फ आज की बात नहीं है बल्कि तब से जब से ये सरकार बनी है.
उन्होंने इस सवाल कि “आप पार्टी छोड़ क्यों नहीं देते?” के जवाब में उन्होंने कहा कि पार्टी मुझे निकाल क्यों नहीं देती. मैने पार्टी छोड़ने के लिए नहीं ज्वाइन किया था. पार्टी में बहुत से लोगों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं होता है. हमारे मित्र, दार्शनिक और गुरू लाल कृष्ण आडवाणी को देखिए. उन्हीं के नेतृत्व में पार्टी 2 सीटों से बढ़कर 200 सीटों तक पहुंची. वह आज कहां हैं? वह कुछ और हो सकते थे. वह आज पार्टी में अभिभावक की तरह हैं. जानकारों का यह कहना है कि पटना साहिब से जीतने वाले शत्रुघ्न को नजरअंदाज करना बीजेपी के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है.