बिहार दंगों एक बाद आई एक रिपोर्ट काफी हिला देने वाली है. जो लोगों के सोचने पड़ मजबूर कर देगी. बता नालंदा जिलें की है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 28 मार्च को 12.30 बजे का समय था पांच हिन्दू और पांच मुस्लिम राम नवमी को रथ के बिहार शरीफ से 20 किलोमीटर दूर सिलाऊ शहर में घुमाने के लिए तैयार थे. ये यात्रा कराडिह से शुरु होकर ब्लॉक ऑफिस में खत्म होने वाली थी. 10 लोगों के साथ इंस्पेक्टर जनरल राजेश कुमार और साथ में जिला अधिकारी व कुछ और जिला प्रशासन के लोग शामिल थे.
समस्या तब खड़ी हुई जब इस यात्रा में 10 लोगों के ही शामिल होने के नियम को तोड़ा गया. कराडिह गांव के लोग भीड़ के साथ यात्रा में शामिल होने लगे और देखते ही देखते 10 लोगों की यात्रा में 3000 की भीड़ इक्ट्ठा हो गई और तो और भीड़ में सबके हाथ में हथियार नज़र आए. पुलिस कांस्टेबल ने बताया कि किसी के हाथ में तलवार, किसी के हाथ में लाठी और चाकू और किसी के हाथ में चाकू और लाठी दोनों नज़र आए. जैसे ही भीड़ “जय श्रीराम” का नारा लगाती थी सारे लोग अपने हथियारों को प्रणाम करते थे. नालंदा के एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने बताया कि गुनहगारों को पकड़ने के उद्देश्य से हम इस मामले की तहकीकात कर रहे हैं. इन 5 दिनों की तहकीकात में हमें शक है कि हो सकता है इस मामले में पहले से प्लानिंग या प्री-प्लॉटिंग की गई हो. लेकिन अभी हम आपको को कुछ नहीं बता सकते.
लगभग दो घंटो तक यात्रा चलने के बाद हथियारों से लैस भीड़ मुस्लिम बहुल इलाके हैदरगंज में प्रवेश करती है. सांप्रदायिक तनाव होने के शक में पुलिस ने पहले से ही पूरे क्षेत्र की घेराबंदी कर रखी थी. लेकिन ये नाकाफी साबित हुआ. एक पुलिस कांस्टेबल ने बताया “भीड़ के वहां पहुंचते ही कुछ असामाजिक तत्व इस मुस्लिम इलाके में घुसने के लिए पुलिस की घेराबंदी को तोड़ने की कोशिश करने लगे. हमने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की. लेकिन वो लोग दूसरी कम्युनिटी के लोगों के साथ दुर्व्यवहार करने लगे. लेकिन भीड़ तब तक काबू में थी जब तक बजरंग दल के नेताओं ने वहां कदम नहीं नहीं रखा था.”
मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया कि असामाजिक तत्वों को रोकने के चक्कर में एक सीनियर अधिकारी ने बजरंग दल के नेता को थप्पड़ मार दिया जिसके बाद भारी संख्या में पथराव शुरु हो गया. इसमें मुस्लिम कम्युनिटी के कुछ लोगों को भी चोट आई. उसके बाद दोनों ही पक्षों ने एक-दूसरे पर हमले करना शुरु कर दिया और हालात बेकाबू हो गए. भीड़ ने श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन को भी जबरदस्ती रोक दिया और पत्थरबाजी करके ट्रेन के शीशे भी तोड़ने की कोशिश की. पुलिस ने बताया कि सौभाग्य से ट्रेन में ज्यादा लोग नहीं थे और हम ट्रेन को वहां से निकालने में कामयाब हो गए. पुलिस ने हवा में तकरीबन 10 बार गोलियां चलाई और आंसू गैस के गोले भी छोड़े.
इस मामले में दर्ज एफआईआर में प्री-प्लानिंग करने वाले 72 लोगों के नाम हैं. इसमें सिर्फ तीन मुस्लिम नामों के साथ बाकी हिन्दू नाम शामिल हैं साथ ही तीन हिन्दू महिलाओं के नाम भी हैं. नालंदा पुलिस से इन सब पर इंडियन पीनल कोड की 14 धाराएं लगाई हैं.
रामनवमी सेलिब्रेशन के सप्ताह पहले ही नालंदा के डीएम डॉ त्यागराजन एसएम ने शांति के लिए हिन्दू-मुस्लिम के बीच एक मीटिंग बुलाई थी और नियम के मुताबिक पिछले साल की तरह इस साल भी उसी रूट से यात्रा निकालने की योजना बनाई गई थी. डीएम ऑफिस के एक अधिकारी ने बताया कि बीजेपी और बजरंग दल के नेता रोज़ यहां आकर डीएम से यात्रा का रूट बदलने का निवेदन करते थे उनके मुताबिक नए रूट से यात्रा निकालने पर ज्यादा से ज्यादा लोग यात्रा को देख सकेंगे. डीएम ने इस निवेदन के लिए कमिटी बनाने की बात कही. डीएम ने पांच हिन्दू और पांच मुस्लिम लोगों की कमिटी बनाई जिसने रामनवमी सेलिब्रेशन के लिए नए रूट की मांग पर हामी भरी. मीटिंग में एसपी और डीएम भी शामिल हुए और ये भी तय किया गया कि सिर्फ यही दस लोग रामनवमी की यात्रा में शामिल रहेंगे और दूसरी तरफ बजरंग दल नेताओं ने लोगों के बीच भगवा रंग की बनियान बांट दी.
एफआईआर के मुताबिक लोकल बीजेपी नेता नित्यानंद सिंह, और बंजरंग दल के धीरज कुमार और कुंदन कुमार मुख्य आरोपी हैं. यात्रा में हिस्सा लेने वाले एक शख्स ने बताया कि हैदरगंज में घुसते ही हमने पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाने शुरु कर दिए जिसमें कोई बुराई नहीं है क्योंकि वो हमारा दुश्मन देश है और उसे कोसने में कोई हर्ज़ नहीं है. इस मामले में अभी तक 37 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं.
इनपुट:HN18