बिहार में आरक्षण के विरोध में भारत बंद का सबसे ज्यादा नुकसान बिहार में हुआ. जहां आज भारत बंद के वजह से बच्चों का स्कूल बंद रहा तो कारोबारियों को भी काफी नुकसान सहना पड़ा. कई जगहों वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया. जबकि रोज कमाने खाने वालों को भी आज घर बैठना पड़ा, वो कल खाएंगे या या आज भूखे सो जाएंगे इसके बारे न आंदोलनकारियों ने सोचा और नही सकर को फर्क पड़ा. सबसे बड़ी बात तो यह है कि बिहार में विरोध प्रदर्शन को देखते हुए एहतियात के तौर पर एजेंसियों की तरफ से पहले ही अलर्ट जारी कर दिया गया था.

इसके बावजूद भी पुलिस आज के हालात पर नियंत्रण हासिल करने में नाकामयाब रही. कई जगहों पर तो आंदोलनकारियों ने पत्थर मारकर पुलिसवालों को ही घायल कर दिया. उसके बाद इस मामले में सत्तापक्ष के एक नेता का शर्मनाक बयाना आता है. जिसमें यह कहा जाता है कि पीएम की सुरक्षा में बिहार पुलिस लगी है, इसलिए पुलिस हिंसा को रोकने में विफल रही. इस बयान से यह भी साफ होता कि सरकार को नागरिकों की सुरक्षा की चिंता कम है. यदि पीएम की सुरक्षा व्यवस्था में अधिक पुलिस बल लगने वाली थी तो इस बात की जानकारी सरकार को पहले से ही होगी, इसलिए नीतीश सरकार केंद्र से भी तो मदद मांग सकती थी. लेकिन आज यह साफ नजर आ रहा था सरकार के मुखिया के अलर्ट की स्थिति में भी पहले अतिथि देवों भवः के स्लोगन को चरितार्थ करने में लगे हैं.

आपको यह बता दें कि आरा नगर थाना क्षेत्र के आनंदनगर इलाके में बंद समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. इस दौरान दोनों गुटों की तरफ से पथराव, आगजनी और फायरिंग हुई. पथराव में डीएसपी की गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई है. वहीं हाजीपुर में केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा जाम में फंस गए. बंद समर्थकों ने केंद्रीय मंत्री से बदसलूकी भी की. ये घटना हाजीपुर के शुभाई की है.

बिहार के गया जिला में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए. जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. भीड़ को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले भी छोड़े गए. दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया गया. इस बीच आरा में बंद समर्थकों ने कतीरा, त्रिभुवनी मोड़ सहित कई जगहों पर सड़क जाम किया. आंदोलनकारियों ने रेल यातायात भी बाधित कर दिया। उन्‍होंने पटना-मुगलसराय रेल खंड पर परिचालन बाधित कर दिया.

बेगूसराय में बंद समर्थकों और विरोधियों में मारपीट हुई. मौके पर कवरेज कर रहे मीडियाकर्मियों को भी पीटा गया. नगर थाना क्षेत्र के अंबेडकर चौक पर तनाव तब भड़का, जब एक पक्ष ने दूसरे पर बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा तोड़ने की कोशिश का आरोप लगाया.

बता दें कि बिहार में हिंसा को रोकने में राज्य सरकार क्यों नाकाम रही इस बारे में पूछे जाने पर जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा- प्रधानमंत्री के राज्य में होने की वजह से बिहार पुलिस प्रधानमंत्री की सुरक्षा इंतजाम में लगी है. इसीलिए दूसरी जगह पर हो सकता है चूक हो गई हो. उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री की सुरक्षा में कोई चूक हो जाती तो इसको लेकर भी सवाल उठते.

केसी त्यागी मंगलवार के भारत बंद को संविधान विरोधी करार दिया. उन्होंने कहा कि कहा कि हैरानी की बात यह है कि तमाम पार्टियां और संगठन इस बंद के खिलाफ चुप्पी साधे हुए हैं. जबकि उन्हें इसका खुलकर विरोध करना चाहिए था. उन्होंने कहा कि दलितों का भारत बंद दलित एक्ट में बदलाव के खिलाफ था लेकिन सवर्णों द्वारा बुलाया गया बंद सिर्फ बदले की कार्रवाई है. यह पूरी तरह से गलत है.

सोशल मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए केसी त्यागी ने कहा कि सोशल मीडिया का जिस तरह से यह असर हुआ है वह हैरान करने वाला है. उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था सरकार की जिम्मेदारी जरूर है. लेकिन जब पूरी की पूरी व्यवस्था जाति के आधार पर बंटी हो तब राज्य सरकार भी लाचार हो जाती है. समाज में जाति के आधार पर जो विभाजन और टकराव देखने को मिल रहा है उसका दोष किसी एक सरकार को नहीं दिया जा सकता. क्योंकि यह लंबे समय से चली आ रही बुराई है.

जब उनसे पूछा गया कि क्या इंटेलिजेंस इनपुट के बावजूद हिंसा को नहीं रोक पाने के लिए बिहार सरकार जिम्मेदार नहीं है, तो उन्होंने कहा कि निशाने पर सिर्फ बिहार सरकार को ही बार-बार क्यों रखा जाता है? उन्होंने कहा कि बंगाल को लेकर लोग क्यों चुप हैं. जहां तृणमूल कांग्रेस के गुंडे पंचायत चुनाव में दूसरी पार्टियों के उम्मीदवारों को पर्चा तक नहीं भरने दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी सीपीएम और कांग्रेस सभी पार्टी के लोगों ने टीएमसी की गुंडागर्दी के खिलाफ शिकायत की है लेकिन हैरानी की बात है इसके बारे में कोई चर्चा नहीं हो रही है. केसी त्यागी ने कहा कि उनकी पार्टी किसी भी तरह के हिंसा के खिलाफ है. जो लोग हिंसा में लगे हैं राज्य सरकार उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी.

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