दुबई में दो प्रवासी एक भारतीय और एक पाकिस्तानी प्रवासी पर बैंक के एक कर्मचारी को रिश्वत देने का आरोप लगाया गया, जिसके बाद दोनों को तीन साल की जेल हो गयी.
 
 

व्यक्तियों पर लगा Dh40,000 जुर्माना 

कोर्ट ऑफ फर्स्ट इंस्टेंस ने आदेश दिया की दोनों व्यक्तियों पर Dh40,000  का जुर्माना लगाया जायेगा, जिसके बाद जेल में सजा पूरी हो जाने के बाद दोनों को रिहा किया जायेगा.
 
 

क्या था मामला ?

सार्वजनिक अभियोजन रिकॉर्ड के अनुसार चार पुरुषों, जिनमे दो पकिस्तानी और दो भारतीय थे, जिनकी उम्र 28 से 45 वर्ष के बीच में हैं, ने बैंक के कर्मचारी को रिश्वत देकर 10 प्रतिशत सुविधाओं और ऋणों के लिए कहा, उन्होंने अपने वेतन प्रमाण पत्र सहित फर्जी कागजात भी शामिल किए, जिनमें से एक पाकिस्तानी, जो की एक सेल्स ऑफिस में काम कर रहा था और जिसका मासिक वेतन 22,500 दिरहम था.
 
 

दोनों व्यक्तियों ने फर्जी डाक्यूमेंट्स का इस्तेमाल किया, जिसमें बैंक स्टेटमेंट की फर्जी फोटोकॉपी, अमीराती आई-डी की जाली कॉपी, फर्जी रेसिडेंस वीजा की कॉपी और पासपोर्ट शामिल था, व्यक्तियों पर गैरकानूनी, जालसाज़ी और फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल कर सरकारी कर्मचारी को रिश्वत देने का आरोप व्यक्तियों पर लगाया गया.

अदालत ने इस मामले में एक अन्य भारतीय और पाकिस्तानी को भी दोषी ठहराया.

स्वीकार किया गुनाह 

व्यक्तियों में से एक पाकिस्तानी को धोखाधड़ी और जाली डाक्यूमेंट्स के लिए पहले पूछताछ की गयी, पाकिस्तानी ने स्वीकार किया कि “वह वित्तीय संकट का  सामना कर रहे थे. जिसके बाद उन्होंने अपने एक मित्र से संपर्क किया, मित्र ने बताया की “वह बैंक में कुछ लोगों को जानते हैं, जिससे वह नकली कागजों के साथ बैंक लोन प्राप्त कर सकते हैं,  बाद में पाकिस्तानी ने अन्य दोस्तों, जिनमे दो भारतीय भी शामिल यहीं, से अपने मित्र की मुलाक़ात करवाई.
 
 
उस दोस्त ने तब लोन के लिए आवेदन किया और 40000 दिरहम का लोन बैंक से प्राप्त किया, जिसमे से चारों व्यक्तियों में से पाकिस्तानी व्यक्ति को 30,000 दिरहम का लोन मिल गया, चारो व्यक्तियों ने ऐसा ही तीन बार नकली कागजों को लेकर बैंक से लोन प्राप्त किया, लेकिन अब व्यक्तियों को सात लाख जुर्माने के साथ तीन साल की जेल की सजा हो गयी.

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