कतर में रहे रहे भारतीयों के लिए खुशखबरी है। यहां की सरकार ने विदेशियों के लिए संपत्ति अधिग्रहण का कानून पारित किया है। मीडिया में आई खबरों के अनुसार, कतर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला बिन नसेर अल थानी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस कानून पर निर्णय लिया गया।
 
 
एक समाचार एजेंसी के अनुसार, मसौदा कानून के तहत कतर से बाहर के लोग कतर में संपत्ति का अधिग्रहण और उपयोग विशेष परिस्थितियों में कर सकेंगे। यह कानून आवासीय परिसरों के अलावा जमीन, इमारतों और आवासीय इकाइयों पर लागू होगा।
 

लाभ लेने के लिए इन शर्तों को करना होगा पूरा
कतर सरकार ने संपत्ति अधिग्रहण कानून में कुछ शर्तें भी लगाई हैं। इसके अनुसार क़तर की महिलाओं से शादी करने वाले विदेशी नागरिकों के बच्चों और अच्छा काम करने वाले प्रवासियों को स्थायी तौर पर रहने की अनुमति मिलेगी। नियम के अनुसार योग्‍य प्रवासियों को यहां रहने के लिए आंतरिक मामलों के मंत्रालय से अनुमित लेनी होगी। मंत्रालय के इजाजत के बाद ही विदेशी यहां पर स्थाई तौर पर रह सकेंगे।
 
 
नए कानून के मुताबिक प्रवासियों को मुफ्त में शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य जैसी बुनियादी सुविधाओं का अधिकार मिलेगा। इसके साथ ही प्रवासी सरकार की तरफ से निर्धारित शर्तो को पूरा करने के बाद अपनी संपत्ति भी बना सकेंगे। कतर के इस फैसले का लाभ करीब 25 लाख विदेशियों को मिलेगा। दरअसल यहां की कुल आबादी 27 लाख है लेकिन कतर के करीब तीन लाख ही यहां के मूल निवासी हैं।

 
कतर ने दिखाई दरियादिली
पिछले साल अगस्त में खाड़ी देशों में सबसे दरियादिली का उदाहरण पेश करते हुए कतर ने 80 देशों के नागरिकों को बिना वीजा प्रवेश की अनुमति दी थी। कतर ने पड़ोसी खाड़ी देशों की तरफ से प्रतिबंध लगाए जाने के बाद आय के अन्य स्रोत स्थापित करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
 
 
पिछले साल संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, बहरीन और मिस्र ने कतर पर आतंकवाद का समर्थन करने का आरोप लगाते हुए उसके साथ राजनायिक संबंध खत्म कर लिए थे और कतर से जोड़ने वाले हवाई, समुद्री व स्थलीय मार्ग बंद कर दिए थे। कतर हालांकि इन आरोपों का लगातार खंडन करता रहा है

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