गरीबी और पेट की भूख मिटाने के लिए लोग सात समंदर पार तक जाने को तैयार हो जाते हैं। उनके मन में केवल यही ख्वाहिश होती है की घर वालों के चेहरे पर मुस्कान बिखर जाए। इसके लिए कोई ज़ेवर बेचता है तो कोई कर्ज लेकर गल्फ वीजा लेते हैं। मगर भारत की ज़मीं को छोड़ते ही सामने दुबई और कतर की चमक के पीछे दिखता है काल सच। इन दिनों दुबई में फंसे सैकड़ों युवकों ने देश से गुहार लगाई है की उनको वहां से निकाला जाए।
दुबई के रियाद में एक निजी कंपनी में काम करने वाले मोहम्मद ओवैस खान ने बताया की यूपी से गए सैकड़ों यवकों की दयनीय स्थिति है वहां। यूपी के जेपी नगर से कई यवकों की तरह वह भी दुबई अपनी किस्मत चमकाने गया था। मगर उसको नहीं पता थी यह बात की परदेश में मुसीबत में फंस जायेंगे। मेरी तरह तैयब अली, रवि कुमार, नसीर आलम भी परेशानी में फंसे हुए हैं


पीड़ित लोगों ने भारत में विदेश मंत्रालय और सुषमा स्वराज से भी मदद की गुहार लगाई है
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नहीं मिल रही सैलरी
ओवैस ने बताया की चार महीनों से सैलरी नहीं मिल रही जिससे घर भी एक पैसा नहीं भेज पाया हूँ। मेरी तरह तैयब अली, रवि कुमार, नसीर आलम समेत कई लोग हैं जिनको पैसे नहीं मिल रहे। हम लोगों को कहीं जाने भी नहीं दिया जाता की हम दूसरी जगह नौकरी करें। अब हम सभी को वापस भारत अपने घर आना है। हमने इसके लिए सीएम अखिलेश यादव से गुहार लगाई है। इसके साथ ही विदेश मंत्री शुष्मा स्वराज को भी मदद की मांग की है।

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दुबई जाने वाले भारतीयों के साथ धोखाधड़ी
रोजगार का झांसा देकर हाल ही में पूर्वी उत्तर प्रदेश के दर्जनों युवकों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी थी। यूपी के दर्जनों युवकों को दुबई से बाहर 15 दिनों तक एक बस में ही रहना पड़ा। मामला विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तक पहुंचा। इसके बाद युवकों की मदद हो सकी। एक ब्रितानी अखबार के मुताबिक साल 2012 से लेकर अब तक 500 से अधिक भारतियों को मौत हो चुकी है। भारतीय दूतावास के आंकड़ों के अनुसार क़तर में औसतन एक माह में 20 प्रवासियों की मौत होती है। वर्ष 2012 में 237 और 2013 में 218 लोगों की मौत हुई हैं।
सऊदी जाने वालों का दर्द गाने में झलका देखिये वीडियो

लखनऊ के युवकों को भी झेलनी पड़ी है बर्बरता
जिस अमीर देश में जाकर पैसे कमाने का सपना लखनऊ के युवकों ने था वह चकना चूर हो गया। नौकरी और पैसे के नाम पर उनके साथ बर्बरता हुई। सऊदी अरब के शेखों ने उनके साथ ऐसा जुल्म किया की किसी की आंख फूट गई तो किसी की हड्डी टूटी।
इनकी भी सुनें दर्द भरी कहानी
घरेलु नौकर का वीजा लिया मगर चरानी पड़ी भेड़ बकरियां
मौलवीगंज में रहने वाले रईस बाबू घरेलु नौकर बनकर कुवैत गए थे। दलाल ने बताया था की उनको एक घर में ही काम करना होगा। आराम की नौकरी है। हर महीने 20 हज़ार रूपए मिलेंगे। पैसे की लालच और गरीबी से तंग आकर कुवैत चला गया। वहां पहुंचा तो भेड़ बकरियों के बीच में धकेल दिया गया। वहां हमको उनकी देखभाल करने को कहा गया। मेरे साथ जानवरों से भी बदतर सुलूक किया जाता था। एक रात वह जब शेख की चुंगल से निकल कर भागा। काफी दूर रेगिस्तान में भागने के बाद फिर से शेख के गुर्गों ने उसको धर दबोचा। किसी तरह भारत वापसी हुई। दर्द और जुल्म की इस कहानी को बताते हुए रईस और उनकी मां चंदा की आंखू में आंसू आ गए। उन्होंने बताया की अगर कोई गलती होती थी तो सजा के तौर पर एक हफ्ते हमको सोने नहीं दिया जाता था। कोढ़े बरसाए जाते थे। खाना नहीं मिलता था। उनके ज़ुल्मों की वजह से रईस की आंखों की रोशनी चली गई। उनका इलाज़ बलरामपुर हॉस्पिटल में चल रहा है।

सऊदी जाने वाले इन बातों का रखें ध्यान

  • – विदेश मंत्रालय लाइसेंस प्राप्त एजेंट के जरिये ही जाएं
  • -कंपनी की ओर से जारी वीज़ा पर जाएं खाड़ी देश, किसी व्यक्ति के नाम से जारी वीज़ा पर नहीं
  • -वीज़ा जारी करने वाली कंपनी एग्रीमेंट भी जारी करती है जिसमें कंपनी का लाइसेंस नंबर भी होता है
  • – खाड़ी देश में किसी भी तरह की मुश्किल में फंसने पर भारतीय दूतावास से मदद लें

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