अरबों रुपये के सरकारी खातों की राशि के गबन की सूत्रधार सृजन संस्था की मनोरमा देवी का एक और चेहरा सामने आया है। भोली भाली दिखने वाली शांत महिला के पीछे एक और दहशत का चेहरा था।

इस बात का खुलासा बैंक ऑफ बड़ौदा के स्केल टू ऑफिसर अतुल रमन और जिला कल्याण पदाधिकारी अरूण कुमार गुप्ता ने पुलिस के समक्ष किया है। पुलिस को दिए बयान में इन्होंने कहा है कि पहले किसी भी गलत काम के लिए पैसे का प्रलोभन उन लोगों दिया जाता था। बात नहीं मानने पर घर पर गुंडे भेज दिया जाता था या वह खुद भी घर पहुंच धमकी देती थी। 

 

कभी कभी जबरदस्ती भेज देती थी रुपये

मनोरमा देवी के बारे में पकड़ाए आरोपितों ने कहा कि विभाग में जब गलत करने से कोई मना करता था तो उसके घर वह खुद मोटी नकद राशि भिजवा देती थी। अरुण गुप्ता ने इस बाबत पुलिस को जानकारी दी थी।

 

अरुण के मुताबिक मनोरमा की मृत्यु के बाद भी 31 मार्च 2017 को उनका पुत्र अमित कुमार, उसका भाई और नाजिर महेश मंडल ने विभाग में आए आवंटन का चेक सृजन के खाते में देने को कहा। इस बात पर तैयार नहीं होने पर उन लोगों ने घर पर 30 लाख रुपये रखवाया और डरा धमका कर सृजन के खाते में पैसा जमा करवा दिया था। 

 

बैंक मैनेजर को कहा था खुद आएंगे या गाड़ी भिजवाकर उठवा लूं

मनोरमा देवी का खौफ की बात पुलिस को बैंक ऑफ बड़ौदा के स्केल टू ऑफिसर अतुल रमन ने बतायी थी। उनका कहना था कि बैंक ऑफ बड़ौदा भागलपुर में ज्वाइन करने के बाद उसे सीनीयर मैनेजर ने पहले ही हिदायत दे दी थी कि वह सृजन के खातों के बारे में किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं करे। साथ ही सृजन से जुड़े जो भी चेक आए उसे बिना किसी क्वैरी के पास कर दिया जाए।

  

शुरूआती दिनों में वह इन सब कामों से अलग रहा। किंतु एक दिन मनोरमा देवी का फोन उसे आया और उसे अपने यहां आने को कहा। उसके मना करने पर मनोरमा देवी ने कहा था कि आप खुद आएंगे या गाड़ी भिजवाकर उठवा लूं। 

 

फंसाने की देती थी धमकी

सरकारी कर्मचारियों को मनोरमा फंसाने की धमकी भी देती

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