हज इस्लामी तीर्थयात्रा और मुस्लिम लोगों के पवित्र शहर मक्का में प्रतिवर्ष होने वाला विश्व का सबसे बड़ा जमावड़ा है.यह इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक है, साथ ही यह एक धार्मिक कर्तव्य है जिसे अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार पूरा करना हर उस मुस्लिम चाहे स्त्री हो या पुरुष का कर्तव्य है जो सक्षम शरीर होने के साथ साथ इसका खर्च भी उठा पाने में समर्थ हो.हर साल हजारों की तादाद मे तीर्थयात्री हज प्रदर्शन करने सऊदी अरब जाते हैं.जिसमे भारतीय हाजी भी मौजूद होते हैं लेकिन पहली बार भारतीय हज यात्रियों को स्वास्थ्य की सुविधा प्रदान की जा रही है.
पहली बार दी जा रही है यह सेवा
भारतीय हज मिशन मक्का और मदीना के पवित्र शहरों में और साथ ही जेद्दाह हवाई अड्डे हज टर्मिनल में पहली बार एक ऑनलाइन सॉफ्टवेयर सिस्टम के साथ अपने सभी अस्पतालों और शाखा डिस्पेंसरी को जोड़ रहा है, जो की भारतीय यात्रियों की मदद करेगा.
भारतीय काउंसिल जनरल एमडी नूर रहमान ने कहा की “यह 2018 के हज के दौरान हमारे तीर्थयात्रियों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर मदद करेगा, उन्होंने कहा की “मुझे नहीं लगता कि किसी अन्य देश ने अपने तीर्थयात्रियों के लिए ऐसी सुविधा पेश की हो.”
सऊदी गैजेट के अनुसार उन्होंने कहा कि भारत के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने हाल ही में मुंबई में एक प्रेस कांफ्रेंस मे इसकी घोषणा की है.” उन्होंने कहा की “हम चिकित्सा सेवाओं को व्यवस्थित कर रहे हैं ,तीन अस्पतालों और 13 दवाइयों के ब्रांच को कंप्यूटर सिस्टम मे मिला रहे हैं और हमने भारत की हज समिति से अनुरोध किया है कि वे प्रत्येक तीर्थयात्रा का पूरा चिकित्सा डेटा सिस्टम पर अपलोड करें. “
उन्होंने कहा है की “अब यदि कोई हाजी किसी मेडिकल यूनिट में जाता है, तो उसके पासपोर्ट नंबर या कवर नंबर दर्ज होने पर उसके सभी मेडिकल विवरण उपलब्ध होंगे.”
बिना पुरुष अभिभावक के पहली बार जा रही हैं 1300 महिलाएं
सऊदी गैजेट के अनुसार शेख ने कहा कि इस साल के हज के लिए पहली बार हज यात्रा मे 1,300 महिला तीर्थयात्री(बिना किसी पुरुष अभिभावक ) के आ रही हैं. उन्होंने कहा, “भारत सरकार महिला अधिकारियों और 13 कदीमुल हुजज को उनकी सेवा के लिए भेज रही है.”
हज के दौरान उच्च तापमान की उम्मीद करते हुए, भारतीय मिशन ने प्रत्येक यात्री के लिए तिरंगे वाले छाते की व्यवस्था भी की है जिसमे ‘इंडिया‘ शब्द लिखा होगा.