सऊदी अरब मौत-ए-सजा देने में दुनिया की सबसे ऊंची दरों में से एक है, जहां आतंकवाद, हत्या, बलात्कार, सशस्त्र डाकू और नशीले पदार्थों की तस्करी के दोषी संदिग्धों को मौत की सजा का सामना करना पड़ता है. अन्य देशों में ड्रग्स जैसे अहिंसक मामलों के दोषी को कुछ सालों की जेल के बाद छोड़ दिया जाता है लेकिन सऊदी अरब एक ऐसा देश हैं जहां ड्रग्स जैसे अहिंसक मामलों में अपराधी का सर कलम कर दिया जाता है.
इस साल किये 48 लोगों के सिर कलम
2014 में एक जॉर्डनियन आदमी वालीद अल-सक्कर, जॉर्डन से सऊदी अरब में हजारों टन के ड्रग्स की तस्करी में पकड़ा गया था, जिसके बाद उसे मौत की सजा सुनाई गई थी.
अल-सक्कर का मामला कोई अलग नहीं है लेकिन सऊदी अरब में नशीली दवाओं के अपराधों को भी अहम् अपराधों में माना जाता है. ह्यूमन राईट वाच के मुताबिक रूढ़िवादी देश ने 2018 की शुरुआत के बाद से 48 लोगों का सर कलम कर दिया. उन मारे गए लोगों में से कई लोग अहिंसक ड्रग्स के अपराधों में दोषी पाए गए थे. जिनका सऊदी अरब में सर कलम कर दिया गया.
ह्यूमन राईट वाच नहीं है सऊदी अरब से खुश
अमेरिका की मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) ने अभी हाल ही में सऊदी अरब में हुई मौतों के बारे में घोषणा की थी जिसमे उन्होंने कहा था की सऊदी अरब को अपनी न्याय प्रणाली में सुधार लाना चाहिए. संस्था ने मौजूदा न्याय प्रणाली को अनुचित करार दिया था.
मौत की सजा लोगों में पैदा करती है डर
इस्लामिक कानून को मानने वाले सऊदी अरब की न्याय प्रणाली के खिलाफ मानवाधिकार समूह हमेशा से आवाज उठाते आए हैं. लेकिन सरकार का दावा है कि मौत की सजा अपराधों को लेकर डर पैदा करती है और लोग ऐसा कुछ भी करने से हिचकते हैं. एचआरडब्ल्यू में मध्यपूर्व क्षेत्र की निदेशक सारा लेह व्हिटसन कहती हैं, “सऊदी अरब में इतने लोगों को मौत की सजा दे दी जाती है, तब भी जब वे किसी हिंसक अपराध में शामिल नहीं होते हैं.”
बिन सलमान से है उम्मीद
एचआरडब्ल्यू के मुताबिक सऊदी अरब में साल 2014 के बाद से अब तक लगभग 600 लोगों को मौत की सजा दी गई है. सजा पाने वालों में हर तीसरा व्यक्ति ड्रग्स मामलों में शामिल था.. लेकिन अब सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से कुछ उम्मीद नजर आती है. टाइम मैग्जीन को दिए अपने इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि देश में मौत की सजा जैसे प्रावधानों को बदलने पर विचार किया जाएगा.