उत्तरी म्यांमार में शुक्रवार को एक खान के धंसने से 14 भारतीय लोगों की मौत हो गई। राहत अधिकारियों ने यहां यह जानकारी दी। अनियमितताओं से भरे रत्न उद्योग से जुड़े खानों में दुर्घटना की यह सबसे ताजा घटना है। काचिन राज्य में स्थित दुर्घटनास्थल के पास ही एक दूसरे खान में भूस्खलन की वजह से 100 मजदूरों की मौत के बाद आंग सान सू की के नेतृत्ववाली सरकार ने खानों पर नियंत्रण और कड़ा कर दिया था।
दुर्घटना वाई हका गांव में तडक़े तब हुई जब खनिक बंद पड़े खान से मलबे को बाहर निकाल रहे थे। मिन नोंग (30) नामक एक बचे खनिक ने कहा कि मैं बड़ी मुश्किल से बचा। मिट्टी का ढेर लोगों पर गिरा और उनकी मौत हो गई। अधिकांश जेड खानों पर पूर्ववर्ती सैन्य सरकार, जातीय सेनाओं और चीनी कंपनियों के नेताओं का कब्जा है।
श्रमिकों में अधिकांश दूसरे देशों के प्रवासी मजदूर हैं जिन्हें खतरनाक परिस्थितियों में घंटों काम करना पड़ता है और इसके एवज में उन्हें काफी कम पैसे दिए जाते हैं। करीब 50 हजार की आबादी वाले वाई हका के प्रशासक चिट कोंग ने कहा कि लोगों के जीवन की सुरक्षा और भूस्खलन के खतरे को ध्यान में रखते हुए कंपनियों को खनन के समय खनन अधिनियमों का ध्यान रखना चाहिए। गांव के अधिकांश लोगों की जीविका खानों पर ही निर्भर है।
पर्यावरणविद समूह ग्लोबल विटनेस के अनुसार साल 2014 में म्यांमार ने करीब 31 अरब डॉलर कीमत का जेड उत्पादन किया। विशेषज्ञों के अनुसार अधिकांश पथरों एवं रत्नों को तस्करी के जरिए चीन ले जाया गया। काचिन में सरकारी सुरक्षा बलों और स्थानीय जातीय सशस्त्र समूह के बीच संघर्ष की वजह से अप्रैल से अब तक 5 हजार लोग पलायन कर चुके हैं।