भूकंप आमतौर पर अब जैसे आम बात हो गया है। लगभग अब हर सप्ताह से एक बार महसूस कराने वाला भूकंप आ ही जा रहा है। पहले लोग दादा दादी की कहानियो में सुना करते थे की भूकंप आया था और दूध का बर्तन में दूध हिला जब निचे देखा तो बिल्ली नहीं थी तो पता चलता था की भूकंप आया है ये कहानियो में सुनने को मिलता था।  लेकिन अब सभी लोगो के लिए आम बात हो चला ये भूकंप। लेकिन ये कोई आम बात नहीं है ये संकेत है जो पृथ्वी हमें दे रही है।

हम सभी मिलकर इस पृथ्वी को जितना नस्ट करने में लगे है उसी रफ़्तार से अगर हमने अपने आप को इसे बचाने में आगे नहीं बढे तो ये छोटे छोटे भूकंप एक दिन बड़ा रूप धारण कर लेगी और हमें हमेशा के लिए ख़त्म कर देगी। भारत-नेपाल और चीन सीमा पर स्थित धारचूला में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए हैं। शाम को करीब सात बजकर 56 मिनट में धारचूला समेत आसपास के क्षेत्रों में भूकंप का झटका आया। जो करीब 15 सेकेंड तक महसूस हुआ। भूकंप की तीव्रता रेक्टर पैमाने पर तीन मैग्नीट्यूट थी, जबकि इसका केंद्र केंद्र भारत नेपाल सीमा है।

भारत नेपाल सीमा पर काली नदी किनारे धारचूला से जौलजीवी और जौलजीवी से गोरी नदी किनारे बरम तक भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। ये झटके ज्यादातर मकानों की दूसरी और तीसरी मंजिल में महसूस किए गए।

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी आरएस राणा ने बताया कि तीव्रता और केंद्र का पता लगाया जा रहा है। भूकंप से किसी तरह के नुकसान की कोई सूचना नहीं है। भारत से लगे नेपाल के क्षेत्र में भी भूकंप महसूस किया गया। कुमाऊं के अन्य जिलों में भूकंप के झटकों का अहसास नहीं हुआ।

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