देश को जल्द ही एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकती है. इस दिशा में कवायद भी तेज कर दी गई है. बता दें कि जम्मू-कश्मी और पंजाब सहित आठ राज्यों में रहने वाले हिदूं जल्द ही अल्पसंख्यकों की श्रेणी में आ सकते है. इन राज्यों के हिन्दुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने की दिशा में तैयारी शुरू कर दी गयी है.

जिन राज्यों का नाम इस लिस्ट में हैं उनमें जम्मू-कश्मी और पंजाब के आलावा लक्ष्यद्वीप, मिजोरम, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश व मणिपुर शामिल है. सरकारी आंकड़ो के अनुसार जम्मू-कश्मी में 28.44%, पंजाब 38.40%, लक्ष्यद्वीप-2.5%, मिजोरम 2.75%, नागालैंड 8.75%, मेघालय 11.53%, अरुणाचल प्रदेश 29% और मणिपुर 31.39% हिन्दू आबादी है.

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने इस संबंध में एक विशेष कमेटी गठित की है. यह कमेटी आयोग के वाइस चेयरमैन के नेतृत्व में इस मुद्दे पर विचार के लिए 14 जून को एक बैठक करेगी. बैठक में इस मसले पर फैसला लिए जाने की संभावना है. आयोग इस संबंध केंद्र को सिफारिश भेजेगा. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सामने नवंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्वनी उपाध्याय ने एक अर्जी दायर कर इस मुद्दे को उठाया था. आयोग के समक्ष उपाध्याय ने कहा था कि जनसंख्या के 2011 के आंकड़ों के अनुसार आठ राज्यों में हिंदू आबादी अल्पसंख्यक है मगर यहां अल्पसंख्यक होने का लाभ उन्हें मिल रहा है जो अल्पसंख्यक नहीं हैं.

यह भी कहा जा रह है कि अगर ऐसा होता है तो जम्मू-कश्मीर में मुसलमानों व पंजाब में सिखों से अल्पसंख्यक होने का दर्जा छिनने की नौबत आ सकती है. ऐसे में उन्हें इस मद में दी जाने वाली सरकारी मदद भी नहीं मिल पाएगी.

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