पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से न सिर्फ आम आदमी परेशान है बल्कि अब सरकार भी इससे निपटने की तैयारी में जुटी है. सरकार जहां दीर्घकालिक समाधान निकालने में जुटी है. वहीं, देश के सबसे बड़े बैंक ने एक नया फॉर्मूला दे दिया है. इससे पेट्रोल की कीमतों में 6 रुपए तक की गिरावट आ सकती है. वहीं, डीजल भी 4 रुपए तक सस्ता हो सकता है. भारतीय स्टेट बैंक की रिसर्च फर्म ने एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में बैंक ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों को कम करने और आम जनता को राहत देने के लिए नया प्राइसिंग मकैनिज्म पर विचार करने का सुझाव दिया है.

क्या है SBI का नया फॉर्मूला
SBI ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगर राज्य पेट्रोल के बेस प्राइस पर वैट लगाए तो पेट्रोल की कीमतें लगभग 5 रुपए 75 पैसे तक कम हो सकती हैं. इसी तरह अगर डीजल की बेस प्राइस पर वैट लगाया जाए तो इसकी कीमत 3 रुपए 75 तक कम हो सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कीमतों को कम करने के लिए इस नए प्राइसिंग मकैनिज्म पर काम किया जा सकता है.

केंद्र के टैक्स पर वैट क्यों?
SBI ने अपनी रिपोर्ट इस बात का भी जिक्र किया कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर वैट लगाने से इसके दाम काफी बढ़ जाते हैं. जबकि उसमें केंद्र का टैक्स भी शामिल होता है. बेस प्राइस पर वैट लगाने से केंद्र के टैक्स पर वैट नहीं लगेगा. इससे कीमतें अपने आप कम हो जाएंगी. SBI ने इस बात को भी उठाया कि राज्य टैक्स पर टैक्स क्यों लगा रहे हैं.

राज्‍यों के राजस्‍व पर असर
SBI की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर बेस प्राइस पर वैट लगाया जाएगा तो राज्यों को राजस्व में नुकसान उठाना पड़ेगा. हालांकि, यह लंबी अवधि के लिए नहीं होगा. लेकिन, राज्यों को करीब 34627 करोड़ रुपए का नुकसान होगा. मौजूदा समय में राज्य पेट्रोल-डीजल की उस कीमत पर वैट लगाते हैं जिसमें केंद्र का टैक्स शामिल होता है. इससे उपभोक्ता को पेट्रोल-डीजल महंगा मिलता है.

राज्‍यों में ज्‍यादा टैक्‍स
अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए एक्साइज ड्यूटी कम करने की मांग हो रही है. मौजूदा वक्त में पेट्रोल पर 19.18 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 15.33 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी लगती है. हालांकि, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में एक बड़ा हिस्सा राज्यों के टैक्स का होता है. राज्य पेट्रोल-डीजल की खपत पर टैक्स लगाते हैं.

कीमतें बढ़ने से राज्यों को फायदा
पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का फायदा राज्यों को हो रहा है. दरअसल, भारत का क्रूड ऑयल बास्केट की औसत कीमत बढ़ने से यह फायदा राज्यों को मिलता है. पेट्रोल-डीजल की बेस प्राइस और सेंट्रल एक्साइज पर राज्य टैक्स लगाते हैं. वित्त वर्ष 2018 में भारत के क्रूड ऑयल बास्केट की औसत कीमत 57 डॉलर प्रति बैरल थी, जो बढ़कर 72 डॉलर प्रति बैरल के पार निकल चुकी है.
इनपुट:ZEENEWS

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