कच्चे तेल में भारी उछाल से परेशान भारत समेत एशियाई देशों को सस्ता कच्चा तेल मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। दरअसल, वियना में चल रही उत्पादक देशों के संगठन ओपेक की बैठक में सऊदी अरब ने कच्चे तेल का उत्पादन रोजाना दस लाख बैरल बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। तेल आपूर्ति बढ़ाने का विरोध कर रहे ईरान का रुख भी नरम पड़ गया है। इससे पेट्रोल-डीजल में भी अगले कुछ दिनों में राहत मिल सकती है।

ओपेक के नेतृत्वकर्ता सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री खालिद अल फालिह ने गुरुवार को कहा कि दुनिया में 2018 की दूसरी छमाही में तेल आपूर्ति में कमी हो सकती है, ऐसे में बाजार पर दबाव से बचाने के लिए ओपेक देशों को उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है। ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना स्थित ओपेक के मुख्यालय में फालिह ने कहा, उत्पादन बढ़ाने के इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर दस लाख बैरल तेल उत्पादन बढ़ाने पर सहमति बन भी जाती है, फिर भी कुछ देशों के पास फिलहाल आपूर्ति बढ़ाने की क्षमता नहीं है। ऐसे में वास्तव में तेल उत्पादन में बढ़ोतरी छह से आठ लाख बैरल प्रति दिन तक हो सकती है।

सदस्य देशों को राजी कर रहा
सऊदी अरब ओपेक के 14 सदस्य देशों को उत्पादन बढ़ाने के लिए राजी कर रहा है। इसमें सऊदी अरब के धुर विरोधी ईरान का रुख सबसे अहम है। ईरान आपूर्ति बढ़ाने को लेकर सहमत दिख रहा है, लेकिन दस लाख बैरल तक उत्पादन बढ़ाने पर उसका रुख अहम साबित हो सकता है।

भारत के लिए अहम फैसला
ओपेक देशों का तेल उत्पादन बढ़ने से कच्चे तेल के दाम नीचे आएंगे, जिससे भारत को भी राहत मिलेगी। पिछले एक साल में कच्चे तेल का दाम 40 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुका है, इससे भारत का व्यापार घाटा और चालू खाते का घाटा बढ़ गया है। महंगाई ने भी इससे उछाल मारा है।

दबाव की रणनीति काम आई
भारत ने चीन, दक्षिण कोरिया और जापान जैसे एशियाई देशों के साथ मिलकर ओपेक पर दबाव डाला था कि वह कच्चे तेल के दाम में बनावटी उछाल लाने से बाज आए। भारत ने अमेरिका से भी तेल की आपूर्ति बढ़ा दी, जिससे ओपेक देशों पर बाजार खोने का डर पैदा हुआ।

कल हो सकता है आधिकारिक ऐलान
ओपेक देशों की शुक्रवार को औपचारिक बैठक में आपूर्ति बढ़ाने का आधिकारिक ऐलान हो सकता है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी वियना में हैं। वह ओपेक महासचिव और ओपेक देशों के मंत्रियों से मिलेंगे।

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