सऊदी अरब अपने पड़ोसी देश कतर को सबक सिखाने की तैयारी कर रहा है. सऊदी ने आतंकवाद को संरक्षण देने वाले देश कतर को झटका देने की योजना बना ली है, बस उसपर अब काम करना बाकि है. कतर के साथ पहले से अपने राजनयिक संबंध खत्म कर चूके सऊदी अब इस देश को दुनिया से अलग-थलग करने की तैयारी कर रहा है.
इसके लिए सउदी कुछ ऐसा कर रहा है कि जिससे कतर सिर्फ एक द्वीप बनकर रह जाएगा. सऊदी अरब साल्वा नहर खुदवाकर एक ओर से जमीन से जुड़े कतर को किसी द्वीप सरीखा कर देगा. 60 किमी लंबी इस नहर का निर्माण तीन माह में शुरू हो जाएगा. इस नहर के निर्माण के लिए पांच विदेशी कंपनियां शामिल हुई हैं. जिसे भी इसका ठेका मिलेगा, उसे एक साल की भीतर निर्माण कार्य पूरा करना होगा. इस नहर से 295 मीटर लंबे और 33 मी चौड़े जलपोतों का सुचारु आवागमन संभव होगा.
1981 में गठित खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्य कुवैत और ओमान ने कतर के खिलाफ सऊदी अरब एवं उनका सहयोग देने वाले देशों का साथ नहीं दिया. कुवैत चाहता है कि इस मामले में कोई वार्ताकार मध्यस्थता करे और चल रहे तनाव को कम किया जाए. हालांकि इस बीच जो भी प्रयास हुए, वह विफल रहे.
सऊदी अरब ने आंतरिक मामलों में दखल, ईरान और आतंकी संगठनों को समर्थन देने के कारण जून 2017 में कतर से अपने राजनयिक संबंध खत्म कर दिए थे. बहरीन, मिस्र और संयुक्त राज्य अमीरात भी इसके साथ खड़े हळ्ए. इन चारों ने कतर को 13 मांगों पर अमल करने की बात कही जो पूरी नहीं हुई. इस वर्ष अप्रैल में सऊदी अरब के सीमा पर तैनात गार्डों ने साल्वा क्रॉसिंग पर नियंत्रण कर लिया. इससे बाहरी दुनिया से कतर का एकमात्र स्थलीय संपर्क कट गया. सऊदी अरब कतर से सटी अपनी सीमा के एक किमी पहले यह नहर बना रहा है. नहर और सीमा के बीच के स्थान में वह अपने परमाणु कचरे को डंप करता है. साथ ही यहीं पर रणनीतिक रूप से सळ्रक्षा के लिए सैन्य बेस भी बना रखा है.
एक तरफ जहां कतर को अगल थलग करने के लिए सऊदी नहर का सहारा ले रहा है तो वहीं इसके जरिए कतर में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. सऊदी सरकार इस साल्वा नहर के किनारे रिजार्ट, बंदरगाह जैसी सुविधाओं को विकसित करेगी, जो सऊदी के आर्थिक पक्ष को मजबूत करने में भी सहायक होगा. साथ ही नहर में स्पोर्ट्स और नौकायन की व्यवस्था भी जाएगी, जिससे यहां पर्यटकों का आना बढ़ जायेगा.