निमोनिया से पीड़ित पति की हालत बिगड़ने का पता चलने के बाद सोमवार को सात महीने की गर्भवती महिला ने एक निर्माणाधीन बिल्डिंग की चौथी मंजिल से छलांग लगा दी। पड़ोसियों ने उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां खून से लथपथ हालत में उसने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया और खुद दम तोड़ दिया।
 
 
तीन घंटे बाद दोनों मासूम बगैर आंख खोले ही इस दुनिया से चले गए। उनके कुछ देर बाद वेंटिलेटर पर चल रहे पति की भी मौत हो गई। महिला के भाई का कहना है कि उसे लगा कि पति की सांसें थम चुकी हैं। इसलिए उसने यह कदम उठा लिया।

दिल दहला देने वाली यह घटनाक्रम सोमवार दोपहर करीब दो बजे कोलार के स्वरूप साईंनाथ नगर में हुई। यहां मुलताई के रहने वाले 37 वर्षीय मनोज गोहे पत्नी गायत्री के साथ रहते थे। मनोज कार फाइनेंस का काम करते थे। दोनों ने 10 साल पहले प्रेम विवाह किया था।
 
12 नवंबर को मनोज खांसी और बुखार का चैकअप कराने बंसल अस्पताल पहुंचे। डॉक्टरों ने तकलीफ ज्यादा बढ़ने का हवाला देकर उन्हें भर्ती कर लिया। गायत्री को सात महीने का गर्भ था, लिहाजा मनोज ने उन्हें अस्पताल आने के लिए मना कर दिया। सोमवार दोपहर करीब डेढ़ बजे गायत्री ने अस्पताल में मौजूद देवर तरुण को फोन किया। पति का हाल पूछा तो देवर ने कहा कि भाभी आप अस्पताल आ जाओ।
 

 
करीब 40 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाई
गायत्री को अस्पताल लाने के लिए तरुण ने मनोज के पड़ोसी को कार निकालने के लिए कहा था। घर पर अमूमन गाउन पहनकर रहने वाली गायत्री ने सलवार सूट पहना और फ्लैट से बाहर निकल आईं। हल्के-हल्के चलते हुए वह कॉलोनी के गेट से बाहर निकली और तीन प्लॉट छोड़कर एक निर्माणाधीन बिल्डिंग की चौथी मंजिल पर जा पहुंची और करीब 40 फीट की ऊंचाई से छलांग लगा दी। पहले वह कॉलोनी की बाउंड्रीवॉल पर लगी ग्रिल पर गिरीं फिर सड़क पर आकर गिरीं।
 
10 साल बाद घर में किलकारी का इंतजार था
गायत्री के बड़े भाई नरेश ने बताया कि शादी के 10 साल बाद भी गायत्री को कोई संतान नहीं थी। शहर और उसके बाहर शायद ही कोई ऐसा स्पेशलिस्ट डॉक्टर बचा हो, जहां मनोज और गायत्री न गए हों। किसी रिश्तेदार ने जानकार बाबा की सलाह दी तो बच्चे की चाह में दोनों उससे भी मिलने पहुंच गए। घर में बेहद खुशियों का माहौल था। गायत्री को सात महीने का गर्भ था, वो भी जुड़वां। दोनों के परिवारों को इस खुशी का बेसब्री से इंतजार था।

आंखें खोले बगैर ही दुनिया छोड़ गए मासूम
नरेश के मुताबिक, “पड़ोसियों की मदद से खून से लथपथ गायत्री को पास के अनंतश्री अस्पताल पहुंचाया गया। सांसें थमने से पहले गायत्री ने अपने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। इनमें एक बेटा और एक बेटी थे। इसके लिए डॉक्टरों को ऑपरेशन भी करना पड़ा। बच्चों को जन्म देते ही गायत्री की मौत हो गई। अब तक दोनों बच्चे जिंदा थे, लेकिन वेंटिलेटर पर। उन्होंने तो अभी आंखें भी नहीं खोली थीं। डॉक्टर दोनों को महज तीन घंटे ही जिंदा रख सके।”
 
 
साढ़े चार घंटे में खत्म हो गईं चार जिंदगियां
 

  • 1:30 बजे : गायत्री अस्पताल न जाकर बिल्डिंग की चौथी मंजिल पर पहुंचकर कूद गईं।
  • 2:00 बजे : बेहोश गायत्री ने जुड़वां बच्चों को जन्म देने के दौरान दम तोड़ दिया।
  • 5:00 बजे :  तीन घंटे वेंटिलेटर पर रहने के बाद दोनों नवजात की भी मौत।
  • 6:00 बजे  : बंसल अस्पताल में वेंटिलेटर पर रखे गए मनोज गोहे की सांसें भी थम गईं।

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