सड़क मरम्मत का बिहार मॉडल पूरे देश में लागू हो सकता है। सात साल तक सड़कों के रखरखाव की बनाई गई नीति को केंद्र ने सराहा है। इस नीति पर केंद्र ने राज्य सरकार से पूरी जानकारी ली है। फिलहाल राष्ट्रीय उच्चपथ (एनएच) के रखरखाव में बिहार मॉडल को लागू किया जा सकता है। आने वाले दिनों में केंद्र सरकार अन्य राज्यों को भी इसी मॉडल पर सड़कों के रखरखाव की अनुशंसा कर सकती है।
बीते दिनों सड़क परियोजनाओं को लेकर सूबे के पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव ने केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की थी। समीक्षा बैठक के क्रम में बिहार में सड़क मरम्मत के लिए बनाई गई दीर्घकालीन निष्पादन और उपलब्धि आधारित पथ आस्तियों अनुरक्षण संविदा नीति (ओपीआरएमसी) के बारे में पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव ने चर्चा की। इस नीति के तहत स्टेट हाईवे व मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड की मरम्मत के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही इसी के तर्ज पर नेशनल हाईवे का भी रखरखाव करने का अनुरोध किया। इस पर केंद्रीय मंत्री ने बिहार सरकार की ओर से बनाई गई इस नीति की सराहना भी की। साथ ही मंत्रालय के अधिकारियों को ओपीआरएमसी के बारे में विस्तार से जानकारी लेने का निर्देश दिया। नेशनल हाईवे के रखरखाव में बिहार में लागू ओपीआरएमसी को कैसे अपनाया जा सकता है, इस पर काम करने को कहा।
बिहार में ओपीआरएमसी के तहत सात साल में 13 हजार 63.26 किमी सड़कों की मरम्मत होगी। इस मद में 6654.27 करोड़ खर्च होगा। इस अवधि में कोई भी गड़बड़ी हुई तो निर्माण एजेंसी को ही उसे दुरुस्त करना होगा। इस अवधि में एजेंसी को निर्माण के बाद कम से कम एक बार सड़क का कालीकरण करना होगा। मरम्मत में केवल सड़कों पर उभरने वाले गड्डों को भरने से काम नहीं चलेगा। सड़कों की सुरक्षा के साथ ही इसकी चिकनाई पर भी विशेष ध्यान देना होगा। बेहतर मरम्मत नहीं होने पर एजेंसी की 40 फीसदी तक राशि काट ली जाएगी। सड़कों की मरम्मत हो रही है या नहीं, इसकी जांच चार स्तर पर की जाएगी। मुख्यालय से अंचल स्तर तक जांच होगी। उड़नदस्ता टीम भी औचक जांच करेगी।