- आज हर भारतीय के लिए गर्व का दिन
- भारत ने फिर रचा है इतिहास
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(ISRO) ने लॉन्च किया ‘चंद्रयान-2’
- चंद्रयान-2 आज दोपहर 2.43 बजे श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से हुआ लॉन्च
- चंद्रयान-2 पृथ्वी का एक चक्कर कम लगाएगा
- चंद्रयान-2 का वजन है 3,877 किलो
- चंद्रयान-1 मिशन (1380 किलो) से करीब तीन गुना ज्यादा
- लैंडर के अंदर मौजूद रोवर की रफ्तार 1 सेमी प्रति सेकंड
- चंद्रयान-2 चांद पर तय तारीख 7 सितंबर को पहुंचेगा
- चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग पहली बार अक्टूबर 2018 में टली
भारत के लिए आज बेहद खास दिन है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-2 को लॉन्च कर इतिहास रच दिया है। चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) को लेकर ‘बाहुबली’ रॉकेट से सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। चंद्रयान-2 आज दोपहर 2.43 बजे श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च हुआ। प्रक्षेपण के बाद रॉकेट की गति और हालात सामान्य हैं। इससे पहले इसरो ने शनिवार को चंद्रयान-2 की लॉन्च रिहर्सल पूरी की थी। इसरो ने गुरुवार को ट्वीट किया था कि चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग 15 जुलाई की रात 2.51 बजे होनी थी, जो तकनीकी खराबी के कारण टाल दी गई थी। इसरो ने एक हफ्ते के अंदर सभी तकनीकी खामियों को ठीक कर लिया है।
15 जुलाई की रात मिशन की शुरुआत से करीब 56 मिनट पहले इसरो ने ट्वीट कर लॉन्चिंग आगे बढ़ाने का ऐलान कर दिया गया था। इसरो के एसोसिएट डायरेक्टर (पब्लिक रिलेशन) बीआर गुरुप्रसाद ने बताया था कि लॉन्चिंग से ठीक पहले लॉन्चिंग व्हीकल सिस्टम में खराबी आ गई थी। इस कारण चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग टाल दी गई। इसके बाद शनिवार को इसरो ने ट्वीट किया कि जीएसएलवी एमके3-एम1/चंद्रयान-2 की लॉन्च रिहर्सल पूरी हो चुकी है। इसका प्रदर्शन सामान्य है।
चंद्रयान-2 पृथ्वी का एक चक्कर कम लगाएगा
लॉन्चिंग की तारीख एक हफ्ते आगे बढ़ाने के बावजूद चंद्रयान-2 चांद पर तय तारीख 7 सितंबर को ही पहुंचेगा। इसे समय पर पहुंचाने का मकसद यही है कि लैंडर और रोवर तय शेड्यूल के हिसाब से काम कर सकें। समय बचाने के लिए चंद्रयान पृथ्वी का एक चक्कर कम लगाएगा। पहले 5 चक्कर लगाने थे, पर अब 4 चक्कर लगाएगा। इसकी लैंडिंग ऐसी जगह तय है, जहां सूरज की रोशनी ज्यादा है। रोशनी 21 सितंबर के बाद कम होनी शुरू होगी। लैंडर-रोवर को 15 दिन काम करना है, इसलिए समय पर पहुंचना जरूरी है।
चंद्रयान-2 का वजन 3,877 किलो
चंद्रयान-2 को भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। इस रॉकेट में तीन मॉड्यूल ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) होंगे। इस मिशन के तहत इसरो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर को उतारेगा। इस बार चंद्रयान-2 का वजन 3,877 किलो होगा। यह चंद्रयान-1 मिशन (1380 किलो) से करीब तीन गुना ज्यादा है। लैंडर के अंदर मौजूद रोवर की रफ्तार 1 सेमी प्रति सेकंड रहेगी।
चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग पहली बार अक्टूबर 2018 में टली
इसरो चंद्रयान-2 को पहले अक्टूबर 2018 में लॉन्च करने वाला था। बाद में इसकी तारीख बढ़ाकर 3 जनवरी और फिर 31 जनवरी कर दी गई। बाद में अन्य कारणों से इसे 15 जुलाई तक टाल दिया गया। इस दौरान बदलावों की वजह से चंद्रयान-2 का भार भी पहले से बढ़ गया। ऐसे में जीएसएलवी मार्क-3 में भी कुछ बदलाव किए गए थे।
चंद्रयान-2 मिशन क्या है? यह चंद्रयान-1 से कितना अलग है?
नई तारीख तय होने पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन सेंटर से चंद्रयान-2 को भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। चंद्रयान-2 वास्तव में चंद्रयान-1 मिशन का ही नया संस्करण है। इसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं। चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था, जो चंद्रमा की कक्षा में घूमता था। चंद्रयान-2 के जरिए भारत पहली बार चांद की सतह पर लैंडर उतारेगा। यह लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होगी। इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारने वाला पहला देश बन जाएगा।
ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर क्या काम करेंगे?
चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और लैंडर के बीच कम्युनिकेशन करना है। ऑर्बिटर चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा, ताकि चांद के अस्तित्व और विकास का पता लगाया जा सके। वहीं, लैंडर और रोवर चांद पर एक दिन (पृथ्वी के 14 दिन के बराबर) काम करेंगे। लैंडर यह जांचेगा कि चांद पर भूकंप आते हैं या नहीं। जबकि, रोवर चांद की सतह पर खनिज तत्वों की मौजूदगी का पता लगाएगा।