किस्मत भी क्या चीज होती है, आज तक कोई नहीं समझ सका। किसी पर दुखों का पहाड़ टूटता है तो परिवार वालों के लिए संभलना मुश्किल हो जाता है। एेसी ही हृदयविदारक घटना बिहार के मुंगेर जिले में हुई। जब पिता-पुत्र की एक साथ अर्थी निकली तो पूरा गांव रो पड़ा। यह मामला मुंगेर सदर प्रखंड का है।
पिता की अर्थी का बोझ नहीं सह पाया
जानकी नगर गांव का अमित अपने पिता की अर्थी का बोझ सहन नहीं कर पाया और महज दस कदम ही चल पाया था कि दिल का दौरा पड़ने से उसकी भी मौ’त हो गई। महज 22 वर्ष के अमित की ऐसी मौ’त पर किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था। परिजन व ग्रामीण अपने यकीन के लिए लगातार चिकित्कों से उसके शव की जांच करवा रहे थे, लेकिन नियति ने जो तय कर दिया था लोगों को आखिरकार उसे मानना ही पड़ा। अतंत:पिता की अर्थी को रोककर अमित की अर्थी को भी सजाकर एक साथ गंगा घाट लाया गया।
भगवान ऐसा दिन किसी न दिखाए
पिता-पुत्र की अर्थी को एक साथ जिन लोगों ने भी देखा, वे रोए बिना नहीं रह सके। वे लोग बस यही कह रहे थे कि भगवान एेसा दिन किसी को नहीं दिखाए। बताते चलें कि सदर प्रखंड के जानकीनगर निवासी 80 वर्षीय बालेश्वर पासवान काफी समय से बीमार चल रहे थे। बुधवार की रात उनकी मौत हो गई। इसके बाद गुरुवार को उनके सभी पुत्र व परिजन दाह संस्कार के लिए जुटे और अर्थी को सजाकर घर से घाट के लिए निकले।
10 कदम चलने के बाद ही पुत्र के पैर लड़खड़ा गए
अर्थी को उनके छोटे पुत्र अमीत भी कांधा देते आगे बढ़ रहा था। लेकिन दस कदम बढ़ते ही उसे दिल का दौरा पड़ा और वह अचेत होकर वहीं गिर पड़ा। ग्रामीण व परिजनों ने स्थानीय चिकित्सक को बुलाकर जांच कराई जहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। यह मंजर देख स्थानीय लोग स्तब्ध रह गए। इसके बाद परिजनों ने पिता व पुत्र की अर्थी को सजा कर एक साथ घर से निकाला, लेकिन अमित की मौत का यकीन किसी को नहीं हो रहा था।
शव यात्रा के दौरान भी कराई गई जांच
शव यात्रा के दौरान ही लोगों सदर अस्पताल के वरीय चिकित्कों से फिर एक बार उसके शव की जांच कराई लेकिन उसे मृत घोषित कर दिया गया। परिजनों ने बताया कि अमित घर में सबसे छोटा था और ई-रिक्शा व मजदूरी कर घर में आर्थिक मदद करता था।
विदेश रहता था बेटा
जानकारी के लिए बताते चले की छोटा बेटा विदेश रहता था, पहले कुवैत में नौकरी करता था हाल ही में दुबई की एक कम्पनी में कार्यरत हुए थे, और वही से पिता की सूचना मिलने पर भारत आए थे.