एयर इंडिया ने 15 अगस्त तक श्रीनगर से आने-जाने वाली सभी उड़ानों की रिशेड्यूलींग और रद्द करने पर पूर्ण शुल्क माफी देने का फैसला किया है। आपको बता दें कि कश्मीर में स्थिति अशांत होने के बीच विमानन नियामक डीजीसीए ने शुक्रवार को एरलाइंसों को सलाह दी कि वे जरूरत पड़ने पर श्रीनगर हवाई अड्डे से अतिरिक्त उड़ानों के संचालन के लिए तैयार रहें।
डीजीसीए की यह सलाह, भारतीय सेना की उस सूचना के कुछ ही घंटों के भीतर आयी है जिसमें सेना ने खुफिया सूचनाओं का हवाला देते हुए कहा था कि पाकिस्तान में बैठे आतंकवादी अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाने की साजिश रच रहे हैं।
सेना के इस खुलासे के तुरंत बाद ही जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सभी तीर्थयात्रियों और पर्यटकों से घाटी में अपने आवास की अवधि घटाने और तुरंत घाटी छोड़ने को कहा था। घटनाक्रम से जुड़े एक सूत्र ने प्रेट्र को बताया,” डीजीसीए ने एरलाइंसों को सलाह दी है कि वे जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त उड़ानें भरने के लिए तैयार रहें।
”रात्रि करीब पौने नौ बजे श्रीनगर हवाई अड्डे पर स्थिति की जांच की गयी और उसे सामान्य पाया गया।ऐसा पाया गया कि अभी अतिरिक्त उड़ानों की कोई जरूरत नहीं है लेकिन बाद में अगर जरूरत पड़ती है तो एयरलाइंसों को सलाह दी गयी है कि वे अतिरिक्त उड़ानों के लिए तैयार रहें । सूत्र ने यह जानकारी दी।
केंद्र सरकार के कुछ फैसलों के बाद कश्मीर में अफरातफरी मची है और इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि वहां कुछ बड़ा होने वाला है। इसे लेकर जम्मू कश्मीर में तरह तरह की अफवाह भी हैं और सियासतदान इससे बेचैन हो गए हैं। ये भी खबर आ रही है कि दिल्ली से श्रीनगर जा रही फ्लाइट से विदेशी नागरिक उतर गये है। ये सभी यात्री न्यूज़ीलैंड के थे और श्रीनगर जा रहे थे।
इन यात्रियों को दूतावास की तरफ से संदेश दिया गया था कि श्रीनगर जाना इस वक्त सुरक्षित नहीं है जिसके बाद वो प्लेन से उतर गए। ये वाक्या दिल्ली एयरपोर्ट का है। ये सभी यात्री दिल्ली से श्रीनगर जा रहे थे। सभी प्लेन में बैठ चुके थे उसी वक्त उन्हें मैजेस मिला और वो उतर गए। सिर्फ एक हफ्ते के अंदर 35 हज़ार तवानों की तैनाती, टूरिस्टों और अमरनाथ यात्रियों को फौरन घाटी से निकलने के निर्देश और सभी एयरलाइंस को अतिरिक्त फ्लाइट तैयार करने की एडवाइज़री, ये तमाम बातें इशारा करती हैं कि कश्मीर में कुछ बड़ा होने वाला है और इसी बात ने कश्मीर में बड़े बड़ों को नींद उड़ा दी है।
तभी तो सिसायतदानों में ऐसी खलबली मची है कि ना दिन का इंतज़ार किया ना रात का। महबूबा फारुक अबदुल्ला से मिलने पहुंच गई। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन और जेकेपीएम के अध्यक्ष शाह फैसल भी बैठक में शामिल हुए। फिर आनन फानन में ये सभी राज्यपाल सत्यपाल मलिक से भी मिले और पूछा आखिर कश्मीर में क्या हो रहा है? महबूबा मीडिया के सामने कश्मीर में डर की दलीलें पेश कर रही थी तो जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अबदुल्ला भी इन दलीलों को हवा दे रहे थे। उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा, “गुलमर्ग के होटलों में ठहरे दोस्तों को वहां से जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। राज्य सड़क परिवहन की बसों से पहलगाम और गुलमर्ग से लोगों को बाहर निकाला जा रहा है। अगर अमरनाथ यात्रियों पर खतरा है तो गुलमर्ग खाली क्यों कराया जा रहा है?”
एक और ट्वीट में उमर अबदुल्ला लिखते हैं, “सेना और वायुसेना को अलर्ट पर क्यों रखा गया है? ये 35A और परिसीमन को लेकर तो नहीं है। अगर ऐसा अलर्ट जारी किया गया है तो फिर ये बहुत कुछ अलग है।” ये सारी बेचैनी तब है जब जम्मू कश्मीर के नेताओं के साथ मुलाकात में राज्यपाल मलिक साफ कह चुके हैं कि सेना के जवानों की तैनाती आतंकी हमलों के अलर्ट के मद्देनज़र उठाया गया कदम है। साथ ही ये भी अपील की है कि राजनीतिक दल अफवाहों पर ध्यान ना दें।