न्यूज एजेंसी एएनआई की माने तो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने सोमवार को समूचे श्रीनगर शहर, दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा और अवन्तीपुरा जिलों के अलावा पाम्पोर और बडगाम की रेकी की। सभी इलाकों में ईद शांतिपूर्वक मनाई जा रही है। हालांकि कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध लगे होने के कारण सड़कों से त्योहार की रौनक गायब रही।
इससे पहले अजीत डोभाल ने शनिवार को अनंतनाग में आम लोगों से मेल-मुलाकात की थी। व्यक्तिगत रूप से डोभाल के लिए और सामूहिक रूप से सरकार के लिए बहुत कुछ दांव पर है। राज्य में धारा 144 लागू है और स्थानीय आबादी का पाकिस्तान से संपर्क तोड़कर सरकार ने एक बड़ी राजनीतिक और कूटनीतिक जीत हासिल की है।
डोभाल खुद जमीनी स्तर पर स्थानीय लोगों से बात कर उन्हें समझते नजर आए कि उनका एकमात्र विकल्प भारत और उसका विकास मॉडल है। कट्टरपंथी इस्लामी वहाबी सलाफिज्म जो युवाओं को राजनीतिक जेहाद की आड़ में भड़काता है, भारत की सबसे बड़ी चिंता है।
इस बात के मद्देनजर कि पुलवामा हमला एक स्थानीय फिदायीन द्वारा किया गया था, भारत काफी सतर्कता के साथ कदम बढ़ा रहा है। हालांकि, सभी प्रमुख राष्ट्र भारत के साथ हैं और उन्होंने इसे भारत का आंतरिक मामला बताया है, लेकिन भाजपा की असली सफलता तब होगी, जब राज्य में बंदी समाप्त होने के बाद सामान्य माहौल बना रहे।
डोभाल इस पूरी प्रक्रिया में एक खास भूमिका में दिखाई दे रहे हैं। ईद त्योहार निकलने के बाद अब केंद्र सरकार की परीक्षा होगी, क्योंकि पूरा सप्ताह मुश्किल भरा हो सकता है। 14 अगस्त को पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस है, जिसके बाद 15 अगस्त को भारत का स्वतंत्रता दिवस है, जब दक्षिण कश्मीर की पंचायतें अशांत जिलों शोपियां, कुलगाम, पुलवामा और अनंतनाग में भारतीय तिरंगा फहराएंगी।
दरअसल, भाजपा सरकार एक संदेश देने के लिए इन सभी क्षेत्रों में तिरंगा फहराने पर जोर दे रही है। डोभाल घाटी में अर्धसैनिक बल, सेना के कमांडरों और अन्य एकीकृत कमान के साथ लगातार संपर्क में हैं। भारत इस तरह का निर्णय लेने के बाद संकल्प के इस प्रदर्शन में किसी भी पड़ाव पर कमजोर नहीं दिखना चाहता। सरकार ने इंतिफादा -पथराव और अलगाववादी आंदोलनों- के संभावित सभी नेताओं को बड़ी सावधानी के साथ एयरलिफ्ट किया। अब यह बात सामने आई है कि इसकी तैयारी एनएसए के पूर्ण समर्थन से 15 दिनों पूर्व ही कर ली गई थी।