भारत के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली 15 दिनों तक एम्स में भर्ती रहे। इस दौरान कई बार उनकी तबीयत में उतार चढ़ाव आए लेकिन उनके अंग धीरे-धीरे काम करना बंद करने लगे थे। अरुण जेटली को सांस और घबराहट की शिकायत के बाद 9 अगस्त को सुबह 10 बजे एम्स में भर्ती कराया गया था। यहां उन्हें कार्डिएक न्यूरो सेंटर में भर्ती कराया गया था। एम्स में पांच विभागों के डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही थी।
 
लेकिन 21 अगस्त की रात अचानक से पूर्व वित्त मंत्री का स्वास्थ्य गिरता चला गया। इससे पहले तक जेटली की तबीयत ‘हीमोडायनैमिकली स्टेबल’ थी। इसका मतलब है कि दिल उतनी ऊर्जा पैदा कर पा रहा है कि वह खून को धमनियों में सही ढंग से भेज सके। इससे खून का प्रवाह सही रहता है और शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचती है।अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि धीरे-धीरे अरुण जेटली की हालत बिगड़ रही थी लेकिन बीच में कई बार ऐसे मौके भी आए कि उनका शरीर दवाओं पर प्रतिक्रिया देने लगा था।

लेकिन उनके फेफड़े, हृदय और किडनी समेत कई अंगों ने धीरे-धीरे काम करना बंद कर दिया था। इन 15 दिनों में उनका कई बार डायलिसिस भी किया गया। पहले उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया हालांकि, उस दौरान वे सांस नहीं ले पा रहे हैं इसलिए उनकी ट्रैकसटॉमी की गई है, ताकि उन्हें वेंटिलेटर से हटाया जा सके। हालांकि, फिर से तबीयत बिगड़ जाने की वजह से एक्स्ट्रा-कॉरपोरियल मैम्ब्रेन ऑक्सीजेनेशन (एक्मो) पर रखा गया। जब मरीज को वेंटिलेटर सपोर्ट से लाभ नहीं मिलता तो उन्हें एक्मो सपोर्ट की जरूरत होती है। डॉक्टरों के मुताबिक, अंत तक वे एक्मो सपोर्ट पर रहे।
 
एम्स के सीएन सेंटर के आईसीयू में भर्ती जेटली की तबीयत शुक्रवार रात से ज्यादा खराब होने लगी थी। इस दौरान अस्पताल के पांच विभागों के डॉक्टरों की टीम पूरा प्रयास कर रही थी। पहले दवाओं की डोज देने पर उनका शरीर हरकत करता था और वे आंखें भी खोल रहे थे लेकिन शुक्रवार रात को डॉक्टरों की पूरी टीम उन्हें स्थिर करने का प्रयास करने में लगी रही लेकिन उनके शरीर में संक्रमण तेजी से फैलने लगा और उनके अंग एक-एक कर काम करना बंद करने लगे।

धीरे-धीरे पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का एक-एक अंग शरीर का साथ छोड़ रहा था। हालांकि, शनिवार सुबह स्थिति थोड़ी बेहतर हुई लेकिन करीब नौ बजे के आसपास फिर से दवाओं ने काम करना बंद कर दिया। पहले हार्ट, फिर फेफड़े, किडनी भी सूजन की चपेट में होने के कारण डायलिसिस पर थी। शरीर में संक्रमण बढ़ता चला गया और आखिर में उन्हें बचाया नहीं जा सका।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *