एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि भविष्य में हिमालय पर्वत श्रृंखला भूकंप के बड़े झटकों से दहल सकती है। रिक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता आठ या इससे अधिक रहने की आशंका जताई गई है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इस तरह की प्राकृतिक आपदा के आने से घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भारी जन-धन की हानि हो सकती है। शोधकर्ताओं ये निष्कर्ष भूगर्भिक, ऐतिहासिक और भूभौतिकीय डाटा की समीक्षा के आधार पर निकाले हैं।
अध्ययन में कहा गया है कि भविष्य में हिमालय पर्वत श्रृंखला में आने वाला भूकंप 20वीं सदी में ‘अलेउटियन सबडक्शन जोन’ में आए भूकंप के समान हो सकता है, जिसका विस्तार अलास्का की खाड़ी से सुदूर पूर्व रूस के कामचटका तक था।
सिस्मोलॉजिकल रिसर्च लेटर्स नामक जर्नल में प्रकाशित इस शोध में मूलभूत भूगर्भीय सिद्धांतों का इस्तेमाल कर पूर्व ऐतिहासिक भूकंपों के आकार और समय का आकलन किया गया है तथा भविष्य के खतरों का अनुमान लगाया गया है।
इस अध्ययन के लेखक स्टीवन जी. वेस्नोस्की ने कहा कि पूरी हिमालय पर्वतमाला (पूर्व में अरुणाचल प्रदेश से लेकर पश्चिम में पाकिस्तान तक) ने पूर्व में कई बड़े भूकंपों को ङोला है। यह बड़े भूकंपों का स्नोत है।
अमेरिका में रेनो स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ नेवादा के सेंटर फॉर नियोटेक्टॉनिक स्टडीज के निदेशक और भूगर्भ विज्ञान एवं भूकंप विज्ञान के प्रोफेसर वेस्नोस्की ने कहा, ‘ये भूकंप फिर आएंगे और इसमें आश्चर्य नहीं है कि अगला बड़ा भूकंप हमारे जीवनकाल में ही आएगा।’
आ सकते हैं आठ से अधिक तीव्रता वाले भूकंप:
भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आइआइएसईआर) कोलकाता के प्रोफेसर सुप्रियो मित्र ने कहा कि यह अध्ययन पूर्व में किए गए शोध से मिलता है। उन्होंने कहा कि अध्ययन बताता है कि हिमालय में स्थित भ्रंश (फॉल्ट) आठ से अधिक तीव्रता वाला भूकंप ला सकते हैं। नवीनतम अध्ययन में, प्रागैतिहासिक भूकंपों के समय और आकार को भूविज्ञान से परिभाषित किया गया था, जबकि पूर्व में किया गया अध्ययन सेटेलाइट से लिए गए आंकड़ों पर आधारित था।
दिल्ली भी आ सकती है जद में :
वेस्नोस्की ने कहा कि भारत में चंडीगढ़ और देहरादून तथा नेपाल के काठमांडू जैसे बड़े शहर हिमालय में आने वाले भूकंप के प्रभाव क्षेत्र के काफी नजदीक हैं। इस तरह के बड़े भूकंप के दायरे में हिमालय और राजधानी दिल्ली भी आ सकती है।