यूपी में यातायात व्यवस्था में सुधार लाने के लिए 5000 पुलिसकर्मियों को ट्रैफिक पुलिस में भेजने का फैसला किया गया है। इनमें इंस्पेक्टर से लेकर कांस्टेबल स्तर के तक के पुलिसकर्मी शामिल होंगे ।डीजीपी मुख्यालय ने निर्देश दिया है कि जिलों में कार्यरत पुलिसकर्मी अपने ही जिले में ट्रैफिक में स्थानान्तरित कर दिए जाएंगे। इसमें जिलावार पुलिसकर्मियों की संख्या का निर्धारण भी किया जा रहा है।
दरअसल ट्रैफिक पुलिस की संख्या बढ़ाने की मांग लंबे समय से चली आ रही है। हर साल ऐसे प्रस्ताव आते रहते हैं। यातायात निदेशालय की तरफ से डीजीपी मुख्यालय भेजे जाने वाले ऐसे प्रस्तावों पर जनशक्ति की कमी के कारण फैसले नहीं हो पाते हैं। पुलिस में नई भर्तियों के बाद अब 5000 पुलिसकर्मियों को ट्रैफिक कार्य में लगाने पर सहमति बनी है। कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण को देखते हुए ट्रैफिक पुलिस की ड्यूटी और बढ़ गई है। कहीं-कहीं उन्हें मास्क की चेकिंग और कोरोना संबंधी सरकार के अन्य दिशा-निर्देशों का पालन कराने की जिम्मेदारी भी दे दी जा रही है। वे कोरोना जांच के लिए लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। ट्रैफिक सिगनल तोड़ने तथा हेलमेट व सीट बेल्ट न लगाने जैसे मामलों में कार्रवाई की जिम्मेदारी पहले से है। शहरों में बढ़ती भीड़ को देखते हुए ट्रैफिक पुलिस की भूमिका दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है।
कम्युनिटी पुलिसिंग और जनता के साथ सीधा संवाद करने के लिए तैयार डीजीपी मुख्यालय की तरफ से बनवाए गए सी-प्लान ऐप से अब तक 9.59 लाख लोगों के मोबाइल नंबरों को जोड़ा जा चुका है। इस तरह ऐप के माध्यम से पुलिस अपना कोई भी संदेश सीधे 9.59 लाख लोगों तक पहुंचा रही है। डीजीपी मुख्यालय के कंट्रोल रूम को एकीकृत करते हुए सितंबर 2019 में सी-प्लान (कम्युनिटी-प्लान) शुरू किया गया था। इस ऐप का उद्देश्य कम्युनिटी पुलिसिंग, आमजन से सीधा संवाद, बेहतर कानून-व्यवस्था, पुलिस से जुड़ी समस्याओं का शीघ्र निस्तारण एवं पुलिस के कार्यों में जनता की अधिक से अधिक भागीदारी को बढ़ाना था। डीजीपी मुख्यालय के अनुसार इसका एक बड़ा लाभ यह भी मिल रहा है कि किसी भी घटना की तथ्यात्मकता का तत्काल परीक्षण कर वास्तविक परिस्थिति के अनुरूप पुलिस रिस्पांस किया जा रहा है।
इसके माध्यम से पुलिस ग्रामीण क्षेत्रों, शहरी वार्डों तथा कस्बों के संभ्रांत व्यक्त्यिों से सीधा संपर्क स्थापित किया गया है। इससे उनमें पुलिस से जुड़े होने के कारण सुरक्षा का भाव भी पैदा हुआ है। साथ ही समय-समय पर जनहित एवं जन सुरक्षा संदेशों का व्यापक प्रेषण भी किया जा रहा है। सी-प्लान ऐप का पर्यवेक्षण मुख्यालय स्थित कंट्रोल रूम द्वारा लगातार किया जा रहा है। समय-समय पर इस एप से जुड़े सदस्यों से समन्वय स्थापित करते हुए क्षेत्र में हो रही आपराधिक गतिविधियों, किसी प्रकार की अफवाहों और आयोजनो आदि के संबंध में जानकारी भी प्राप्त की जा रही है तथा गलत सूचनाओं एवं अफवाहों का तत्काल खंडन किया जा रहा है।
जब्त की गई 530 करोड़ की संपत्ति
डीजीपी एचसी अवस्थी के निर्देश पर चलाए जा रहे अभियान के तहत पहली जनवरी 2020 से लेकर 31 अक्टूबर 2020 तक उत्तर प्रदेश गिरोहबंद अधिनियम (गैंगस्टर एक्ट) के तहत कुल 3697 मुकदमे दर्ज किए गए। साथ ही 12221 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा गैंगस्टर एक्ट की धारा 14 (1) के तहत 793 मामलों में कार्रवाई करते हुए 530 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई।