लोक आस्था का महापर्व छठ नजदीक है । ऐसे में बिहार सहित आसपास के सभी राज्यों में तैयारियां जोरों पर है । इस महापर्व में इस्तेमाल होने वाली सूप और डाला का इस समय डिमांड काफी बढ़ जाता है । इस त्यौहार के बहाने महादलित परिवारों को रोजगार का अवसर भी मिल जाता है और उन्हें बेहतर आमदनी भी मिलती है ।

जिले के 3000 महादलित परिवार

लोक आस्था का महापर्व छठ लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी लाता है । खगड़िया जिले के करीब 3000 महादलित परिवार छठ में इस्तेमाल होने वाले सूप-डाला  बनाने के कार्य में लगे हुए हैं । छठ के लिए तैयार किए गए सूप-डाला की बिक्री बिहार के विभिन्न जिलों के साथ-साथ आसपास के पड़ोसी राज्य यूपी, झारखंड, पश्चिम बंगाल और दिल्ली-पंजाब तक होती है । छठ पूजा के आते ही बिहार के विभिन्न जिलों के साथ-साथ इन राज्यों में भी खगड़िया के सूप-डाला  की डिमांड काफी बढ़ जाती है ।

4 माह पहले से चलती है तैयारियां

मालूम हो कि बांस से निर्मित सामग्रियों की डिमांड काफी ज्यादा होने की वजह से खगड़िया जिले के मलिक समुदाय के लोग छठ के लिए 4 महीने पहले से सूप-डाला  बनाने की तैयारी में जुट जाते हैं । इस कार्य में परिवार की महिलाएं भी काफी मदद करती हैं और उनके सहयोग से बनाई गई चीजों को बाहर के बाजारों में बेचा जाता है । मालूम हो कि कारीगरों द्वारा बनाए गए सूप व टोकरी को व्यापारी ₹52 से ₹55 तक देकर खरीदते हैं और फिर इसे ₹100 तक बेचा जाता है । वही बाहर के राज्यों की बात करें तो एक अनुमान के मुताबिक खगड़िया से बाहर के राज्यों में करीब 30 लाख रूपए तक का कारोबार होता है ।

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