बिहार में जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट के बाद इसके प्रति अविश्वास और अंधविश्वास की लड़ाई छिड़ गई है। कुछ लोगों को यकीन नहीं हो रहा है कि जिन जातियों की संख्या बढ़ी है, वह सही है, वहीं कुछ लोग इसे फर्जी और पूरी प्रक्रिया के खिलाफ बता रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी इस विषय पर वायरल हो रही हैं दो तरह की बातें।

विभिन्न व्यक्तियों की राय के अनुसार, बिहार में जाति आधारित जनगणना बेहतर होने की बजाय नुकसान पहुंचा रही है। कुछ लोगों को लगता है कि जनगणना पर खर्च करने की जगह इसे विकास कार्यों पर खर्च करना चाहिए था। जिन जातियों के आंकड़े बढ़े हैं, उनकी संख्या पर भी कुछ लोगों को संदेह है। विभिन्न जातियों के नेताओं का दावा है कि उनकी संख्या को कम दिखाने का प्रयास किया गया है।

इसी तरह, कु

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