बिहार सरकार ने विभिन्न समाजिक आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट के लिए सुप्रीम कोर्ट में इंतजार करने की घोषणा की है। इस रिपोर्ट में जाति आधारित गणना के साथ-साथ आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़े भी शामिल होंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी घोषणा सर्वदलीय बैठक के दौरान की। सीएम ने कहा कि इस रिपोर्ट में सभी वर्गों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है और इसे तैयार करने के लिए सर्वे टीम ने ठीक ढंग से काम किया है। यह रिपोर्ट बिहार विधानमंडल में पेश की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार सरकार का मकसद है कि सभी का विकास किया जाए और उन्हें निरंतर आगे बढ़ाया जाए। इस रिपोर्ट में सभी धर्म, जाति और उनके परिवारों के बारे में विस्तृत जानकारी शामिल होगी। इसके साथ ही उनके आर्थिक स्थिति और परिवार के शैक्षणिक स्तर की जानकारी भी ली जाएगी। सभी दलों की सहमति से इस रिपोर्ट के आधार पर आम लोगों के विकास के लिए काम किया जाएगा।
हालांकि, भाजपा, हम और एआईएमआईएम पार्टी के प्रतिनिधि ने इस रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में कई जातियों को सही संख्या में गिना नहीं गया है और सर्वे टीम के काम की जांच होनी चाहिए। अलग-अलग समाज के लोग भी इस मुद्दे पर सवाल उठा रहे हैं। इसके बावजूद, सरकार इस रिपोर्ट को महत्वपूर्ण मानकर सभी का विकास करने का लक्ष्य रखती है।