भिखारी ठाकुर: भोजपुरी का शेक्सपियर
भिखारी ठाकुर को भोजपुरी का शेक्सपियर कहा जाता है। उनके योगदान के लिए उन्हें पूरे भोजपुरिया क्षेत्र के कुल देवता के रूप में माना जाता है। उन्होंने भोजपुरी भाषा के गीत का नाटककार और लोक कलाकार के रूप में भोजपुरी का सम्मान बढ़ाया। भिखारी ठाकुर का जन्म सारण जिले के सदर प्रखंड स्थित कुतुबपुर दियारा में हुआ था।
भिखारी ठाकुर: भोजपुरी का शेक्सपियर
राजेंद्र कॉलेज के पूर्व प्राचार्य मनोरंजन प्रसाद सिन्हा ने भिखारी ठाकुर को एक कार्यक्रम के दौरान भोजपुरी का शेक्सपियर बताया था। उन्हें इस नाम से पुकारा जाता रहा है। भिखारी ठाकुर की मां और पिता उनके कला का विरोध करते रहे थे, लेकिन उन्होंने अपने कला को अपने अंदर के आग के समान जले रखा और 30 साल की उम्र में विदेशिया नाटक की रचना की।
भिखारी ठाकुर: भोजपुरी का शेक्सपियर
भिखारी ठाकुर ने भोजपुरी में लौंडा नाच की शुरुआत की और इससे उनकी प्रसिद्धि बढ़ी। उन्होंने लगभग तीन दर्जन किताबें भी लिखीं और उन्हें लोगों ने काफी पसंद किया। भिखारी ठाकुर को बिहार और झारखंड के लोग भी पसंद करते हैं।
छपरा शहर में भिखारी ठाकुर को भोजपुरी का शेक्सपियर कहा जाता है। उनकी जयंती सोमवार को मनाई जा रही है। भोजपुरी के विकास में उनका योगदान महत्वपूर्ण है और उन्हें भोजपुरिया क्षेत्र के कुल देवता माना जाता है। भिखारी ठाकुर ने भोजपुरी भाषा के गीत का नाटककार और लोक कलाकार के रूप में अपनी महानता साबित की है। भारतीय महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने उन्हें भोजपुरी का शेक्सपियर कहा था। इसके अलावा उन्हें राय बहादुर का सम्मान भी मिला था। भिखारी ठाकुर की मां-बाप उनके कला के खिलाफ थे, लेकिन फिर भी उन्होंने नृत्य मंडली का गठन किया और अपनी प्रसिद्धि को पूरे देश में फैलाया। भिखारी ठाकुर को बिहार और झारखंड के लोगों ने पसंद किया है और उन्हें उनके कार्यक्रमों में बुलावा भी मिलता है। उन्होंने लौंडा नाच की शुरुआत की थी और इसके बाद उनकी नाट्य शैली का पहचान बन गई।