सच्चिदानंद/पटना: बिपिन सौरव ★रणजी में बिहार की रन मशीन
बिपिन सौरव एक ऐसा खिलाड़ी है जो विकेट के पीछे से गेम बदलने की शक्ति रखता है. जब वह बैटिंग करता है, तो स्कोर बोर्ड की ओर नहीं देखता, बल्कि हर गेंद को बाउंड्री के बाहर का रास्ता दिखाता है. वह बिहार टीम के एक बहुत ही महत्वपूर्ण खिलाड़ी है और उनकी खेल की कहानी बहुत प्रेरणादायक है।
बिपिन सौरव एक गरीब मध्यम वर्गीय परिवार से हैं, लेकिन उनके खेल की क्षमता ने उन्हें बहुत आगे ले जाया है। उनके पिता एक छोटे से प्राइवेट स्कूल चलाते हैं और उनके घर में सीमेंट का पिच भी है, जहां वह प्रैक्टिस करते हैं। उनकी संघर्ष और मेहनत ने उन्हें क्रिकेट में महारत तक पहुंचाया है।
बिपिन सौरव ने रणजी ट्रॉफी में बिहार की रन मशीन के रूप में अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने बीसीएल के पांच मैचों में दो शतक, एक अर्धशतक के साथ 299 रन बनाए हैं और सबसे ज्यादा 19 छक्के मारे हैं। उनके खेल की बदौलत उन्होंने एक 44 साल पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ा है।
बिपिन सौरव की कहानी ★एक गरीब खिलाड़ी का संघर्ष
बिपिन सौरव एक गरीब मध्यम वर्गीय परिवार से हैं, लेकिन उनके पिता ने उन्हें क्रिकेट के प्रति प्यार दिलाने के लिए कठिनाइयों का सामना किया है। उनके पिता ने छोटे से प्राइवेट स्कूल चलाया है और उनके घर में भी सीमेंट का पिच बनवाया है ताकि वह घर के अंदर ही प्रैक्टिस कर सकें। उनकी संघर्ष की कहानी बहुत प्रेरणादायक है और यह दिखाती है कि मेहनत और संघर्ष से किसी भी क्षेत्र में सफलता मिल सकती है।
बिपिन
बिपिन सौरव, एक विकेटकीपर और बल्लेबाज, बिहार की टीम के रन मशीन के रूप में उभर रहे हैं। उन्हें गेंदबाज के पीछे से गेम बदलने की शक्ति है और वे स्कोर बोर्ड नहीं देखते बल्कि हर गेंद को बाउंड्री के बाहर पहुंचाने में रहते हैं। बिपिन ने रणजी ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन किया है, जहां उन्होंने 299 रन और 19 छक्के बनाए। इसके साथ ही उन्होंने बिशन सिंह बेदी और शेन वार्न के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया है। बिपिन का अत्यधिक गरीब परिवार से संबंध है, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और संघर्ष जारी रखा है।