Primary Accused Arrested in Theft Case

The former SDPO of Narkatiaganj, Aman Kumar, is currently stuck in a case involving the theft of a safari car and a bike in the Gaunaha police station area of Betiah. The case is related to incident number 162/15 at the Gaunaha police station. The investigation revealed some errors in the supervision of the sub-divisional police officer, leading to confusion regarding the involvement of the primary accused, Chhotan Miyan.

Allegations Against Chhotan Miyan

SDPO Aman Kumar mentioned the recovery of the stolen car and bike from the house of the primary accused, Afroz Alam, to prove Chhotan Miyan’s innocence. However, the case against Afroz Alam was not found to be true. There was no mention of any evidence supporting Afroz Alam’s innocence in the orders issued by Aman Kumar.

Departmental Action and Investigation

Aman Kumar defended himself against the departmental action taken against him, stating that he was not at fault. The investigation was conducted by Inspector Prabhat Sameer, with supervision by Inspector Sitaram Singh. SDPO did not oversee the case, claiming that their report ensured no innocent person would be implicated in the case.

Short and Final Remarks

The case remains ongoing, with further investigation required to determine the true culprits. The discrepancies in the initial investigation highlight the importance of thorough supervision and review in such cases to ensure justice is served.

बेतिया के गौनाहा थाना क्षेत्र से चोरी की सफारी गाड़ी और बाइक बरामदगी के मामले में प्राथमिकी अभियुक्त समेत अन्य को निर्दोष करार देने के मामले में नरकटियागंज के तत्कालीन एसडीपीओ अमन कुमार फंस गए हैं। अमन कुमार फिलहाल पटना के बिहटा स्थित राज्य आपदा मोचन.मामला गौनाहा थाना कांड संख्या 162/15 से जुड़ा है। पुलिस सूत्रों के अनुसार अपराध अनुसंधान विभाग के अपर पुलिस महानिदेशक ने इस कांड की समीक्षा की थी। इसमें अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के पर्यवेक्षण में त्रुटियां पाई गईं थी। आरोप था कि इस मामले में पकड़े गए अभियुक्त के स्वीकारोक्ति बयान को आधार मान कर कांड के प्राथमिकी अभियुक्त छोटन मियां के संलिप्त नहीं होने और उसके अभियुक्तिकरण पर कुछ बिन्दुओं पर जांच के बाद ही फैसला लेना SDPO ने श्रेयस्कर बताया था।एसडीपीओ ने छोटन मियां को निर्दोष साबित करने के लिए प्राथमिकी अभियुक्त अफरोज आलम के घर से गाड़ी और बाइक बरामद होने का उल्लेख किया था। वहीं, अफरोज आलम के खिलाफ मामले को सत्य नहीं पाया था। अफरोज आलम के निर्दोष होने के संबंध में क्या साक्ष्य है, इसका कोई उल्लेख उन्होंने अपने आदेश में नहीं किया था।वहीं, एसडीपीओ ने अपने खिलाफ संचालित की गई विभागीय कार्रवाई में बचाव देते हुए बताया था कि वे दोषी नहीं हैं। इस कांड के अनुसंधानकर्ता दारोगा प्रभात समीर थे। जबकि पर्यवेक्षण शिकारपुर इंस्पेक्टर सीताराम सिंह ने किया था। SDPO ने कांड का पर्यवेक्षण नहीं किया था। SDPO का कहना था कि उनके द्वारा प्रतिवेदन निर्गत किया गया था कि कोई निर्दोष व्यक्ति न फंसे।

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