सऊदी अरब के नेतृत्व वाली गठबंधन सेना ने रविवार को कहा कि उसने यमन के अदन में दक्षिणी अलगाववादियों के खिलाफ हमले शुरू कर दिए हैं। अलगाववादियों के अदन में राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करने के बाद उसने यह बात कही। रियाद समर्थित यमन सरकार ने संयुक्त अरब अमीरात से समर्थन प्राप्त तख्तापलट की निंदा की है। राष्ट्रपति भवन पर कब्जा जमाए जाना अलगाववादियों और सरकार की वफादार सेना के बीच गहरी खाई को दिखाती है। दोनों ने ही शिया हूती विद्रोहियों से लड़ाई लड़ी है।
गठबंधन सेना ने एक बयान में कहा, “गठबंधन ने उस इलाके को निशाना बनाया जो वैध सरकार के महत्वपूर्ण स्थानों में से एक के लिए सीधा खतरा है।” साथ ही उसने अलगाववादियों की साउदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल से अदन में राष्ट्रपति भवन छोड़ने या फिर और हमलों के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी है।
यमन के राष्ट्रपति अब्देरब्बो मंसूर हादी को सऊदी अरब और उसके सहयोगी संयुक्त अरब अमीरात के नेतृत्व वाले गठबंधन का समर्थन प्राप्त था जो यमन मे हूतियों से लड़ रही है। लेकिन हूती विरोधी गठबंधन में संयुक्त अरब अमीरात द्वारा प्रशिक्षित अन्य सेना सिक्योरिटी बेल्ट फोर्स बुधवार से ही अदन में सरकार की वफादार सेना से लड़ रही है।
‘सिक्योरिटी बेल्ट फोर्स’ के एक अधिकारी ने शनिवार देर रात बताया कि उन्होंने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया है। यह फोर्स साउदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (एसटीसी) का समर्थन करती है जो दक्षिणी यमन को स्वतंत्र राज्य के रूप में बहाल करने का मांग करती है जैसे कि वह 1967 से 1990 तक के दौर में था।
यमन सरकार ने शनिवार देर रात एसटीसी और संयुक्त अरब अमीरात को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया।