उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जनपद की तहसील किशनी की ग्राम सभा इलाबांस के गांव विरतिया निवासी एक युवक को सऊदी अरब में नौकरी के लिए जाना महंगा पड़ गया। वहां युवक को उप्र के छह अन्य युवकों के साथ बंधक बनाकर मारपीट की जा रही है। विरतिया के युवक ने मीडियाकर्मियों को फोन कर वापस स्वदेश बुलवाने की मांग की है। उसके घर पर मौजूद उसकी पत्नी और बच्चों का भी बुरा हाल है।
तहसील क्षेत्र की ग्राम सभा इलाबांस के गांव विरतिया निवासी 30 वर्षीय आनंद बाथम गरीब किसान है। उसकी मुलाकात लखनऊ के मुमताज से हुई उसने आनंद को सऊदी अरब में अच्छी नौकरी का ऑफर दिया। आनंद से नौकरी के कागजात और वीजा बनवाने के नाम पर डेढ़ लाख रुपये ले लिये गए। इसी वर्ष पांच मार्च को आनंद दुबई जाने के लिये घर से निकला। मुम्बई में सभी कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद 17 मार्च को वह दुबई चला गया।
काफी दिन तक घर पर रुपये न भेजने पर आनंद की पत्नी रानी ने रुपये भेजने को कहा तो आनंद ने बताया कि वहां उसको कोई तनख्वाह नहीं दी जा रही है। वहां उसको जबरन केमिकल फैक्ट्री में लगा दिया गया जहां कठिन काम होने के कारण उसकी तबियत खराब होने लगी तो काम छोड़ दिया। देश वापस भेजने की बात कहने पर मालिक उन लोगों की पिटाई कर रहा है। मालिक ने उनके पासपोर्ट और वीजा जैसे सभी जरूरी कागजात अपने पास रख लिए हैं जिससे वह लोग वहां फंस गए हैं।
इधर गांव विरतिया में आनंद की पत्नी ने रुपयों की किल्लत होने के कारण पांच वर्षीय बेटी पल्लवी और चार वर्ष के बेटे आयुष को मजबूरी में अपने मायके गांव दीग थाना ऊसराहार जिला इटावा में छोड़ आई है। सिर्फ दो वर्षीय बेटा दिव्यांश और मरणासन्न सास के सहारे वह गांव में किसी तरह गुजारा कर रही है। रानी ने भारत सरकार से उसके पति को वापस देश बुलवाने की मांग की है।
दुबई में हो रही पिटाई, यूपी के सात लोग फंसे
आनंद ने रियाद से मीडियाकर्मियों को फोन करके बताया कि वह मुम्बई से सात लोगों के साथ में साथ सऊदी अरब आया था। उसके साथ फतेहपुर से मुकेश तिवारी, बलरामपुर से रजबुद्दीन, सीतापुर से नौरद्दीन, उन्नाव से राहुल सक्सेना, सचिन सक्सेना, प्रमोद कुमार सक्सेना भी थे। सभी लोगों को तनख्वाह मांगने पर वहां बुरी तरह पीटा गया।
आनन्द ने पिटाई के फोटो और भारत वापस आने की गुहार लगाते हुये वीडियो भी भेजा है। सीतापुर का नौरद्दीन वहां से भाग गया है। नौरद्दीन के बारे में उन्हें कुछ पता नहीं है कि वो रियाद में है या वापस भारत आ गया। अब उन लोगों के पास भारत आने के लिये रुपये भी नहीं हैं। वहां लोग सड़कों पर खाना मांगकर किसी तरह काम चला रहे हैं।