क़तर के बैन के बाद सऊदी अरब कतर से लगी अपनी सीमा पर एक नहर खोदने के प्रस्ताव पर विचार कर सकता है. सऊदी सरकार से जुड़े अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, इस कदम से तीन तरफ से समुद्र से घिरा कतर एक टापू में तब्दील हो जाएगा.
 
अखबार के मुताबिक, सऊदी सरकार अगर इस प्रस्ताव को अमल में लाती है, तो कतर की जमीन से लगी एकमात्र सीमा ‘सैन्य क्षेत्र और परमाणु कचरे के लिए डंपिंग ग्राउंड में बदल जाएगा. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया कि इस परियोजना में कई बाधाएं हैं और अभी तक इसे आधिकारिक मंजूरी नहीं दी गई है.
 
इस प्रस्ताव को दोनों देशों के बीच 10 महीने से चल रहे तनाव की स्थिति में एक बार फिर संकट पैदा करने वाला माना जा रहा है. इससे पहले जून 2017 में सऊदी अरब के नेतृत्व में कई देशों ने कतर से अपने राजनयिक संबंध खत्म कर दिए थे.
 
इन देशों में सऊदी अरब के अलावा संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र और बहरीन शामिल थे. इन चारों देशों ने कतर पर आतंकियों की फंडिंग का आरोप लगाया था. उनका कहना था कि कतर इस्लामिक विद्रोहियों को मदद दे रहा है और ईरान के साथ दोस्ती बढ़ा रहा है. हालांकि, कतर ने इन आरोपों को खारिज किया था और अपनी संप्रभुता के खिलाफ करार दिया था.
 
कतर के शासक शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने सोमवार को ही अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस से मुलाकात की थी और मंगलवार को वह अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से मुलाकात करने वाले हैं.
 
सऊदी अरब के अल रियाद सहित एक-दो अखबारों में सोमवार को लगभग एक जैसी खबरें छपी, जिनमें लिखा गया है कि इस प्रस्ताव के तहत सऊदी अरब कतर से सटती अपनी सीमा को सैन्य अड्डे में बदलेगा और बाकी क्षेत्र में उन परमाणु संयंत्रों का कचरा फेंका जाएगा, जिन्हें सऊदी विकसित करना चाहता है. इस बीच संयुक्त अरब अमीरात भी कतर से सटती सीमा के पास ही न्यूक्लियर वेस्ट साइट बनाना चाहता है.
 
सब्क अखबार में कुछ दिन पहले छपी एक खबर में कहा गया कि इस नहर परियोजना को पूरा होने में 12 महीने लगेंगे और इससे कतर एक टापू में बदल जाएगा. इस तथाकथित सलवा मरीन कैनाल प्रॉजेक्ट को बनाने के लिए सऊदी और अमीरात के निवेशक निवेश करेंगे और इसे खोदने का काम मिस्र की कंपनियों को दिया जाएगा.
 
सब्क की रिपोर्ट में बताया गया कि नहर पूरी तरह से कतर की सीमा से सटी होगी. इस नहर को बनाने में करीब 2.8 अरब रियाल यानी 48.46 अरब रुपये खर्च होंगे. नहर 200 मीटर (656 फीट) चौड़ी और 20 मीटर (66 फीट) गहरी होगी.
 
संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री अनवर गर्गश पहले ऐसे उच्च पदस्थ अधिकारी हैं जिन्होंने इस नहर परियोजना के प्रस्ताव पर टिप्पणी की है. कई सारे ट्वीट्स में अनवर ने कहा कि यह प्रोजेक्ट इस बात का सबूत है कि कतर संकट को सुलझाने में असफल रहा. हालांकि, कतर की सरकार ने अभी तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
 
चारों देशों ने कतर के ऊपर वास्तविक रूप से जून से ही रोक लगा रखी है. सऊदी अरब ने कतर की एकमात्र लैंड क्रॉसिंग को सील कर दिया है. इसी रूट से कतर में खाने-पीने और निर्माण के सामान का आयात होता था. चारों देशों ने कतर के नागरिकों को भी अपने देशों से निकाल दिया और अपने नागरिकों को भी कतर से बुला लिया था. अपने आसमान में उन्होंने कतर की के हवाई जहाज़ों को उड़ने पर भी रोक लगा दी थी.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *