सरकारी समाचार एजेंसी क्यूएनए ने कहा है कि क़तर सरकार ने कुछ प्रवासियों को स्थायी तौर पर रहने की अनुमति (पर्मानेंट रेजिडेंसी) देने की योजना बनाई है.

  • किसी भी खाड़ी देश में इस तरह की ये पहली योजना है, जहां विदेशी श्रमिकों पर भारी निर्भरता है.
  • कैबिनेट ने इस मसौदे को मंज़ूरी दे दी है, हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं.
  • मसौदे के तहत क़तर की महिलाओं से शादी करने वाले विदेशी नागरिकों के बच्चों और अच्छा काम करने वाले प्रवासियों को स्थायी तौर पर रहने की अनुमति होगी.


विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, इस नये क़ानून के तहत योग्‍य प्रवासियों को आंतरिक मामलों के मंत्री स्‍थायी निवास के लिए की मंज़ूरी देंगे.

प्रवासियों की बड़ी आबादी

खाड़ी देश में बड़ी संख्या में विदेशी श्रमिक काम करते हैं और उन्हें विरले ही उस देश की नागरिकता मिल पाती है. क़तर की कुल आबादी तकरीबन 27 लाख है जिसमें से मात्र तीन लाख के लगभग क़तर के नागरिक हैं.
 

  • कतर में विदेशियों को स्थायी नागरिकता देने का विरोध भी होता रहा है और तर्क दिया जाता रहा है कि इससे वहाँ की मूल आबादी का ढाँचा बदल जाएगा.
  • नये कानून के तहत स्‍थायी निवास की सुविधा पाने वाले प्रवासियों को पहली बार वहां मुफ्त शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं के साथ अपनी संपत्‍ति बनाने का अधिकार मिल सकेगा.
  • ऐसे नागरिकों को अपना व्‍यापार शुरू करने के लिए साझेदार के रूप में क़तर के स्‍थायी नागरिक की आवश्‍यकता नहीं होगी.
  • दुनिया के सबसे अमीर देश क़तर पर 2022 फ़ुटबॉल वर्ल्‍ड कप के लिए काम में जुटे हजारों प्रवासी वर्करों की स्‍थिति में सुधार के लिए अंतरराष्‍ट्रीय दबाव है.

 
क़तर सरकार का कहना है कि वो श्रम संशोधन लागू कर रही है.
सऊदी अरब, बहरीन और यूएई ने 5 जून को क़तर पर चरमपंथ को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए संबंध तोड़ लिए थे. उन्होंने अरब में रह रहे क़तर के नागरिकों को 14 दिनों के भीतर देश छोड़ने को कह दिया था और अपने नागरिकों के भी क़तर आने-जाने पर पाबंदी लगा दी थी.
 

 
वर्क स्‍पांसरशिप सिस्‍टम को खाड़ी देशों और कतर में ‘कफाला’ के तौर पर जाना जाता है जिसके तहत विदेशी वर्करों को नौकरी बदलने या देश छोड़ने से पहले अपने मालिक की मंजूरी लेनी होती है.
 
क्‍यूएनए ने बताया कि गृह मंत्रालय में एक समिति का गठन किया जाएगा जो स्‍थायी निवास की मांग करने वाले आवेदनों की समीक्षा करेगी.

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