पिता का मैथ इतना कमजोर कि मैट्रिक पास करने का सपना पूरा नहीं हो सका। मैथ में लगातार तीन बार फेल होने के चलते नॉनमैट्रिक रह खेती-किसानी में जुट गये और फिर उसके बाद कुवैत चले गए। इसके ठीक उलट उनके दोनों बेटों ने पहली बार में ही इंजीनियरिंग की कठिन प्रवेश परीक्षा जेईई एडवांस में सफलता पा ली।
 
दोनों का रैंकिंग भी बेहतर रहा है। यह कहानी है भोजपुर जिले के बखोरापुर गांव की। रविवार को आईआईटी एडवांस का रिजल्ट आया तो किसान सिद्धनाथ सिंह के घर में एक बार फिर खुशियां छा गयीं। छोटे बेटे शिवम को सामान्य वर्ग में 383 वां रैंक मिला है। कुल 360 में से 241 अंक मिले हैं। शिवम ने बताया कि वह फिलहाल कंप्यूटर साइंस से बीटेक करना चाहता है। फिर आगे के लक्ष्य के बारे में सोचेगा।
 
28 अक्टूबर, 2002 को जन्मे शिवम को पहले प्रयास में ही यह कामयाबी मिली है। महज साढ़े 15 वर्ष की उम्र में वह इस साल जेईई एडवांस में सफलता पाने वाले विद्यार्थियों में सबसे कम आयु का हो सकता है। गांव में बेहतर स्कूल नहीं होने के चलते शिवम महज पांच वर्ष की उम्र से अपने बड़े भाई के साथ कोटा में ही रहकर पढ़ाई कर रहा था। उसने बारहवीं की परीक्षा भी इस साल वहीं से 92 फीसदी अंकों के साथ पास की है।
 
शिवम ने पिछले अप्रैल में किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना की परीक्षा भी पास की थी। इस तरह यह कामयाबी शिवम के लिए इस साल तीसरी बड़ी खुशी लेकर आयी है। इसके पूर्व बड़े भाई सत्यम ने महज 12 साल में जेईई एडवांस पास किया था। शिवम ने बड़े भाई की कम उम्र का रिकार्ड तो नहीं तोड़ पाया, लेकिन पहली बार में ही रैकिंग के मामले में उसे पछाड़ दिया है।
 
बड़े भाई सत्यम ने 12 साल में ही पास की थी जेईई एडवांस : शिवम के बड़े भाई सत्यम ने महज 12 साल में ही जेईई एडवांस की परीक्षा पास कर ली थी। हालांकि पहली बार में 8137 रैंक आने पर वह संतुष्ट नहीं हुआ। अगले साल दुबारा परीक्षा दी और 679 वां रैंक हासिल कर आईआईटी कानपुर से महज 18 साल की उम्र में बीटेक व एमटेक की डिग्री हासिल कर ली। अब एमएस की डिग्री हासिल करने के लिए सत्यम इसी साल अगस्त में यूएस जाने की तैयारी कर रहा है।

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