पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान ने रविवार को कहा कि पाकिस्तान की “दोस्ती” की पेशकश को भारत को हमारी कमजोरी के रूप में नहीं माना जाना चाहिए और भारतीय नेतृत्व को शांति वार्ता आयोजित करने के लिए “घमंड” को छोड़ देना चाहिए. आपको बता दें कि, इमरान खान ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था, जिसमें आतंकवाद और कश्मीर समेत प्रमुख मुद्दों पर द्विपक्षीय वार्ता शुरू करने की मांग की गई थी.
भारत ने सितंबर में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनके पाकिस्तानी समकक्ष शाह महमूद कुरेशी के बीच बैठक में शुरुआत की थी लेकिन अब भारत ने पाक से किसी भी तरफ की वार्ता से इनकार कर दिया है.
आपको बता दें की नई दिल्ली ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में तीन पुलिसकर्मियों की “क्रूर” हत्या के साथ-साथ कश्मीरी आतंकवादी बुरहान वानी को “गौरवशाली” डाक टिकटों की रिहाई का हवाला देते हुए बैठक को रद्द कर दिया गया.
रविवार को लाहौर में पंजाब नौकरशाही को संबोधित करते हुए खान ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि भारतीय नेतृत्व पाकिस्तान के साथ घमंडी और शांति (शांति) वार्ता करेगा. दोस्ती की पेशकश को हमारी कमजोरी के रूप में नहीं माना जाना चाहिए. पाकिस्तान और भारत के बीच दोस्ती गरीबी से उबरने में मदद करेगी. “
खान ने कहा कि पाकिस्तान को धमकी नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि यह शत्रुता के किसी भी कार्य को बर्दाश्त नहीं करेगा. प्रधान मंत्री ने कहा, “दोस्ती (पाकिस्तान और भारत के बीच) दोनों देशों के हित में है. हम किसी भी विश्व शक्ति का दबाव नहीं लेंगे.”