तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तय्यिप एर्दोगान एक ऐसी शख्सियत जिसने सभी मुसलमानों का दिल खुश किया हुआ है. एर्दोगान मुस्लिम देश के एक उभरते हुए सितारे है. जो मुसलमानों की आवाज़ बने हुए है. इन दिनों एर्दोगान फिलिस्तीन में हो रही हिंसा के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिलिस्तीनियों के हक की मांग कर रहे है.
इफ़्तार से चंद मिनट पहले तुर्की की दारूल हुकूमत अंकारा के एक गरीब इलाके में मौजूद एक मजदूर के घर की घंटी बजती है घर के मालिक 53 साला यलदरम जलैक जब दरवाजा खोलकर देखते हैं तो उनके हैरत का कोई ठिकाना नहीं रहता उन्हें अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं आता और देखते हैं कि दरवाजे पर मुल्क में सदर रजब तैयब एर्दोगान और उनकी बीवी सैयदा अमीना एर्दोगान खड़े हैं.
यलदरम जलैक की हैरत को भांपते हुए तुर्क सदर उन्हें तसल्ली देकर कहते हैं कि आज हम आपके मेहमान हैं आपके परिवार के साथ इफ्तार करेंगे यह सुनकर मेजबान खुशी से फूले नहीं समाते वह फौरन वापस जाकर अपने घरवालों को यह खुशखबरी देते है कि एक बहुत बड़े मेहमान की आमद है. गरीब यलदरम के परिवार ने अपने हैसियत के मुताबिक इफ्तार का मामूली इंतजाम कर रखा था घर के आठ अफराद दस्तरख्वान पर बैठे थे और इफ्तार के लिए खजूर पानी दूध और संतरा के अलावा दस्तरखान पर और कुछ नहीं था इसलिए परिवार के चेहरों पर अजीम मेहमान की आमद पर खुशी के साथ-साथ परेशानी के आसार भी नुमाया थे. मगर तुर्क सदर और उनकी बीवी बिला किसी तकलीफ के यलदरम के अहले खाना के साथ दस्तरखान पर बैठ कर दुआ में मशरूफ हो गए. यलदरम के अहले खाना को भी यकीन नहीं आ रहा था कि मुल्क का सदर और उनकी बीवी उनके घर में मौजूद और उनके साथ इफ्तार में शरीक है. नाकाबिल यकीन मंजर देखकर यलदरम और उनकी परिवार की आंखों से खुशी के आंसू निकल आए यलदरम और उनके परिवार ने सदर और उनकी बीवी को खुले दिल से खुशामदीद कहा.
तुर्की प्रेस के मुताबिक अंकारा के इलाके को एक सब्जी मंडी में मेहनत मजदूरी करते हैं. यलदरम जलैक और उन्हें हर दिन 60 लैरा तुर्की करेंसी मजदूरी मिलती है. जो कि 22 अमेरिकी डॉलर के बराबर हैं. यलदरम जलैक के घर में तुर्क सदर के आने बाद यह भी मालूम हुआ कि वह किराए के मकान में रहते हैं जिस का किराया 1 महीने का 360 लैरा अदा करते हैं जोकि 135 अमेरिकी डॉलर होता है. इफ्तार के बाद सदर और उनकी बीवी यलदरम के अहले खाना के साथ घुलमिल गए और उनसे उनके मसाइल भी पूछे यलदरम ने सदर को बताया कि उनके 5 बच्चे हैं. क्योंकि उनकी कमाई बहुत थोड़ी है इसलिए मैं अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में तालीम दिलवा रहे हैं.