खजूर ,जो की सऊदी अरब में तेल के बाद काफी प्रसिद्द है, हर रोज इसे पकवानों में प्रयोग किया जाता है. सऊदी अरब में विशेषकर रमजान के दौरान इसे विशेष आहार माना जाता है. रमजान के दौरान शहरी और इफ्तेहार के दौरान इसे खाया जाता है.खजूर की महत्वतता इस्लाम में बहुत अधिक मानी जाती है. रमजान के दौरान रोजा भी इसे खाकर तोड़ा जाता है.
अल अहसा खजूर उत्पादक
पूर्वी सऊदी अरब में अल-अहसा दुनिया की सबसे बड़ा खजूरों का नखलिस्तान है, जिसमें लगभग 3 मिलियन पेड़ 30,000 एकड़ में फैले हुए हैं. यह खालसाह खजूरों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है – जिसे सऊदी अरब में ख्लस के रूप में जाना जाता है, एक शब्द जो “क्विंटेसेन्शियल” के रूप में संक्षेप में अनुवाद करता है – जिसे नियमित रूप से दुनिया में सबसे अच्छे खजूरों के रूप में चुना जाता है.
इस्लाम में खजूर का महत्व
इस्लामी परम्परा के अनुसार पैगम्बर मोहम्मद साहब ने भी अपना रोजा खजूर खाकर ही तोडा था.अरबी में खजूर को नखल कहा जाता है और फलों को तमर. हालंकि सऊदी ही नहीं दुनिया के कई क्षेत्रों में खजूरों का उत्पादन किया जाता है और अब खजूर दुनिया भर में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है. पूरी दुनिया में खजूर की लगभग 240 से 360 किस्में हैं, और प्रत्येक का स्वाद उस क्षेत्र में मिट्टी और मौसम की स्थिति से बहुत प्रभावित है जहां वे उगाए जाते हैं. अमीर हज, सैदी, खद्रवी और मेडजूल बेहतरीन किस्मों में से कुछ हैं, जो उनके समृद्ध स्वाद और बेहतर गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं.
हालांकि, अजवा खजूर का तो धार्मिक और औषधीय महत्व है. कहा जाता है की पैगंबर ने जो खजूर बोये थे उन्हें ही अज्वा कहा जाता है .
खजूर त्यौहार
हर साल, अल-अहसा 3,600 वर्ग मीटर को कवर करने वाले क्षेत्र में एक खजूर त्योहार आयोजित करता है, जिसमें सरकारी एजेंसियां और कंपनियां होती हैं जो खजूर बेचती हैं. इस त्यौहार की रणनीतिक दृष्टि अल-अहसा के लिए खजूर उद्योग के लिए एक केंद्र बिंदु बनने के लिए है, उन्हें केवल कृषि वस्तु से निवेश, पर्यटन और अर्थव्यवस्था के लिए एक विशिष्ट उत्पाद में बदलकर बदलना है.
त्यौहार का उद्देश्य कृषि विपणन, गुणवत्ता उत्पादन और किसानों और व्यापारियों के बीच संचार की अवधारणाओं को विकसित करना है.