सऊदी अरब में दूसरे के देशों के प्रवासियों के साथ भारत से भी लाखों की संख्या में कामगार काम की तलाश में आते हैं. इनमें अधिकांश भारतीयों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होती है. भारत के मुकाबले अधिक दिहाड़ी और अच्छी मासिक मजदूरी मिलने के वजह से वो सऊदी समेत अन्य खाड़ी देशों में आते हैं.
लेकिन हाल के दिनों में सऊदी के क्राउन प्रिंस बिन सलमान के एक सोच और फैसले ने यहां आने वाले कामगारों की नौकरी पर ग्रहण लगाना शुरू कर दिया है. जो गरीब भारतीय कामगारों के लिए काफी तकलीफदेह साबित हो रहा है. क्योंकि उनके हाथ से जिंदगी की सबसे अहम चीज ‘रोजगार’ छीन रही है.
सऊदी में कामगारों की छटनी शुरू कर दी गई है. कई विभागों से उन्हें निकाला जा रहा है. यह सब ‘सऊदीकरण’ के वजह से किया जा रहा है. प्रिंस बिन सलमान यह चाहते हैं कि सऊदी में सिर्फ वहां के लोगों को ही काम मिलें, हर विभाग में सऊदियों की संख्या अधिक हो न कि भारतीय या अन्य प्रवासियों की.
पर शायद सऊदी के लोगों को यह नहीं मालूम है कि वहां की खराब होती जा रही अर्थव्यवस्था प्रवासियों के न रहने से और भी खराब हो सकती है. कई उत्पादक क्षेत्रों में प्रोडक्शन डाउन हो सकता है. आलम तो यह है जिस काम में प्रवासी पारंगत है वहां से भी उन्हें निकाला जा रहा है.
जबकि सऊदी के लोग वो काम आसानी से नहीं कर पाएंगे. बिना सलमान सऊदी की तकदीर बदलने की सोच रहे हैं लेकिन कइयों के पेट पर लात मारकर ऐसा करना किस हद तक सही है? दूसरी सबसे बड़ी बात यह भी है कि प्रवासी रोजगार की तलाश में आये हैं, वो बेचारे विरोध भी नहीं कर सकते हैं क्योंकि उनपर और भी मुसीबत आ सकती है. एक तो पहले से अपने हाथों से काम छिनता हुआ देखकर प्रवासियों के छाती पर सांप लौट रहा है.
हाल तो ऐसा हो गया है कि कई विभागों में प्रवासियों को ढूंढ ढूंढ कर निकालना शुरू कर दिया गया गया है. कहा तो यह भी जा रहा है कि सऊदीकरण लागू होने के वजह से 90% से अधिक कामगारों को अरब देश तक छोड़ना पड़ जायेगा. जबकि अभी से ही कई प्रवासियों ने डर के मारे खुद ही जॉब छोड़ना शुरू कर दिया है और अरब को भी!