सऊदी अरब की घटनाएं और खराब होती आर्थिक दशा अब किसी से छुपी नहीं है और अब तो खुल कर यह कहा जा रहा है कि सऊदी अरब की महत्वकांक्षी योजना, वीज़न 2030 भी एक मृगतृष्णा से अधिक नहीं है।


एलमानीटर पत्रिका ने तो अपने एक लेख में स्पष्ट रूप से कहा है कि वीज़न 2030 एक सरकारी परियोजना है और अब वह बिखर रही है। वास्तव में यह , सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान की महत्वकांक्षी योजना कही जाती है जिसका मुख्य उद्देश्य, धूर्ततापूर्ण नारों द्वारा, लोगों को धोखा देकर देश की अर्थ व्यवस्था पर अधिक पकड़ बनाना है। इस परियोजना का आधार विदेशी पुंजीनिवेश है जो इस देश की राष्ट्रीय तेल कंपनी, आरामको द्वारा लाया जाएगा।

सऊदी अधिकारियों का कहना है कि यह कंपनी , 2 हज़ार अरब डॅालर का मूल्य रखती है इस आधार पर इस कंपनी के पांच प्रतिशत शेयर बेच कर लगभग 100 अरब डॅालर जुटाए जा सकते हैं किंतु इस योजना का विरोध करने वालों का कहना है कि इस तरह से सऊदी अरब की सब से बड़ी पुंजी, विदेशियों के हाथों में चली जाएगी और इससे सऊदी अरब की तेल पर निर्भरता बढ़ेगी।

इस लिए तेल की अर्थ व्यवस्था से बाहर निकलना सऊदी अरब के लिए आसान नहीं है और इस संदर्भ में बिन सलमान के सारे बयान, जनता को धोखा देने के लिए हैं।

बहुत से विशेषज्ञों का मानना है कि विज़न 2030 एक महत्वकांक्षी परियोजना है जिस का व्यवहारिक होना संभव नहीं है और यह काम क्राउन प्रिंस बिन सलमान के बस का तो बिल्कुल ही नहीं है। मिडिल ईस्ट वेब साइट के संपादक ने खुल कर लिखा है कि बिन सलमान हारे खिलाड़ी हैं, उनकी सच्चाई सामने आना शुरु हो गयी है, सऊदी अरब में , गुब्बारे अब फूटने लगे हैं, एक गुब्बारा विज़न 2030 भी है।

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