मानवाधिकार समूहों ने कहा है कि सऊदी अधिकारियों ने महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले सात कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया है.
कुछ हफ़्ते बाद सऊदी अरब में महिलाओं के ड्राइविंग से प्रतिबंध पूरी तरह हट जायेगा, उससे पहले इस तरह की गिरफ़्तारी की गई है.
गिरफ़्तारी का कारण अभी साफ़ नहीं हो पाया है लेकिन महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये महिलाओं को चुप कराने के लिए किया गया है.
सऊदी अरब के सरकारी समाचार चैनल ने रिपोर्ट किया कि उन्हें इसलिए गिरफ़्तार किया है क्योंकि वे विदेशी ताक़तों के संपर्क में थे.
इस देश में महिलाओं के लिए सख़्त कानून बने हुए हैं. महिलाओं को कई फ़ैसलों और कामों के लिए पुरुषों की स्वीकृति लेनी पड़ती है.
कौन हैं ये कार्यकर्ता?
गिरफ़्तार किए गए कुल सात कार्यकर्ताओं में से दो महिलाएं हैं
इन महिलाओं में लुजैन अल-हथलाउल और उमान अल-नफ़्जान शामिल हैं. इन महिलाओं ने ड्राइविंग पर प्रतिबंध का लगातार विरोध किया था. हालांकि, ये प्रतिबंध 24 जून से ख़त्म होने जा रहा है.
ह्युमन राइट वॉच संगठन के अनुसार, हथलाउल और नफ़्जान ने 2016 में पुरुष अभिभावक प्रणाली (मेल गार्डियनशिप सिस्टम) को ख़त्म करने वाली याचिका पर हस्ताक्षर किए थे. इस प्रणाली के तहत महिलाओं की विदेश यात्रा और पुरुष अभिवावक की स्वीकृति के बिना शादी करने या पासपोर्ट बनवाने पर रोक थी.
32 वर्षीय क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान
पहले भी रही सुर्ख़ियों में
हथलाउल को पहले भी दो बार गिरफ़्तार किया जा चुका है. पहली बार उन्हें 2014 में तब गिरफ़्तार किया गया जब वह संयुक्त अरब अमीरात से सीमा पार करने की कोशिश कर रही थीं. सज़ा के तौर पर उन्हें 73 दिनों के किशोर हिरासत केंद्र में भेजा गया था.
दूसरी बार जून 2017 में उन्हें दम्माम एयरपोर्ट पर उतरते ही गिरफ़्तार कर लिया गया था लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें छोड़ दिया गया.
2015 की सऊदी की सबसे ताक़तवर महिलाओं की सूची में हथलाउल को तीसरे पायदान पर जगह दी गई थी. इसके अलावा 2016 में वह ‘वन यंग वर्ल्ड समिट’ में वह डचेज़ ऑफ़ ससेक्स मेगन मार्कल जैसे हाई-प्रोफ़ाइल शख़्सियत के साथ नज़र आई थीं.
नफ़्जान भी 2013 में तब सुर्ख़ियों में आई थीं जब वह एक दूसरी महिला कार्यकर्ता के साथ सऊदी राजधानी में गाड़ी चला रही थीं. इसकी तस्वीर सामने आने के बाद पुलिस ने उन्हें रोक दिया था.
नफ़्जान को बाद में छोड़ दिया गया लेकिन उन्होंने दोबारा गाड़ी न चलाने वाले शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था.
कार्यकर्ताओं के साथ क्या हुआ?
ह्युमन राइट वॉच का कहना है कि उन्हें 15 मई को ही पकड़ लिया गया था लेकिन अधिकारियों ने गिरफ़्तार करने का कोई कारण नहीं बताया है.
मानवाधिकार समूह का कहना है कि कार्यकर्ताओं को पिछले साल सितम्बर में शाही अदालत से फोन आया था जिसमें उन्हें चेतावनी दी गई थी कि वे ”मीडिया से बात न करें.”
बयान में कहा गया था, ”यह फ़ोन उसी दिन आया था जिस दिन महिलाओं के ड्राइविंग से प्रतिबंध हटाने की घोषणा की गई थी.”
सांकेतिक तस्वीर
ह्युमन राइट वॉच के मध्य पूर्व की अध्यक्ष सारा लीह विट्सन ने बताया, ”ऐसा लगता है कि इन कार्यकर्ताओं का ‘अपराध’ ये था कि वे महिलाओं के लिए ड्राइव का अधिकार चाहती थीं.”
क्या सऊदी अरब सच में महिलाओं के लिए बदल रहा है?
सऊदी अरब ने महिलाओं के ड्राइविंग पर से प्रतिबंध पिछले साल सितम्बर में ही हटा लिया था जो अगले महीने कुछ सुधार के साथ लागू होगा.
हाल में सऊदी अरब में हो रहे हर सुधार का श्रेय 32 वर्षीय क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को दिया जा रहा है. उनका विज़न 2030 कार्यक्रम है जिसके तहत वह देश की अर्थव्यवस्था को तेल से अलग और एक खुला सऊदी समाज बनाना चाहते हैं.
उनके सुधारों के तहत महिलाएं बिना पुरुष की स्वीकृति के अपना बिज़नेस भी शुरू कर पायेंगी.

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