सऊदी अरब ने कनाडा के राजदूत को देश से बाहर निकालने का निर्णय लिया. इसी के साथ कनाडा में पढ़ रहे 15 हज़ार छात्रों को देश छोड़ने का आदेश दिया. कनाडा के साथ सभी व्यापारिक सम्बन्धों पर रोक लगाई. सऊदी सरकार ने सिर्फ ट्वीट के चलते कनाडा के साथ सम्बन्धों को खत्म करने का फैसला किया. जिसमें कनाडा के विदेश मामलों के मंत्रालय ने सऊदी जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग की. जिसके बाद से सऊदी ने कनाडा को राज्य के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया.
लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सऊदी-कनाडा विवाद सिर्फ कनाडा विदेश मंत्री के बयान के बारे में नहीं है, बल्कि, रियाद द्वारा राज्य के मानवाधिकार रिकॉर्ड के खिलाफ बोलने के परिणामों के अन्य देशों को चेतावनी देने का यह नवीनतम प्रयास है.
अल जज़ीरा के मुताबिक, इंटरनेशनल स्टडीज के जोसेफ कोरबेल स्कूल में डेनवर सेंटर फॉर मिडिल ईस्ट स्टडीज विश्वविद्यालय के निदेशक नादिर हाशमी ने कहा ,”यह स्पष्ट है कि [सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान] दुनिया के बाकी हिस्सों को संदेश भेजने के लिए कनाडा का इस्तेमाल कर रहे है. सऊदी कनाडा का इस्तेमाल कर पूरी दुनिया को यह सन्देश देना चाहता है कि आप सऊदी अरब के साथ व्यापार करना चाहते हैं, तो आपको मानवाधिकारों के मामलों में अपनी जुबां बंद करनी होगी.
हाशमी ने अल जज़ीरा को बताया कि कनाडा के साथ राजनयिक संकट का मूल कारण बिन सलमान खुद है. सऊदी क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान, जिसे आमतौर पर एमबीएस कहा जाता है, “शक्ति और घमंड पर नशे में है. बिन सलमान का मानना है कि उसके पास [अमेरिकी राष्ट्रपति] डोनाल्ड ट्रम्प उनकी जेब में है और वो जो चाहे कर सकते है.
इनपुट: wna