पटना के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिहार की जातीय गणना रिपोर्ट पर सवाल उठाया है। उन्होंने बताया कि सर्वे में खानापूर्ति की गई है और बिना लोगों के घर आए उनके परिवार की संख्या लिख दी गई है। इसके अलावा, उन्होंने आरोप लगाया है कि इस सर्वे के माध्यम से लालू-नीतीश विरोधी जातियों की संख्या को कम करने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा कि इस सर्वे में अति पिछड़ों की संख्या को खंडित और कम करने की कोशिश की गई है। उन्होंने नीतीश सरकार से डेटा पब्लिश करने की मांग की है।

रविशंकर प्रसाद ने बताया कि सर्वे फॉर्म में परिवार के मुखिया का हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान लेना होता है, लेकिन उनके परिवार से यह कार्य नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने अपने घर में इसके बारे में पता किया तो पता चला कि गेट से पूछ कर कोई चला गया था। इसके बाद उन्होंने खुद ही अपने परिवार का डिटेल भर दिया। उन्होंने अपने मित्रों और नेताओं से भी इस बारे में पूछा और उनके साथ भी ऐसा ही हुआ है।

वहीं, रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस सर्वे में कायस्थ की संख्या को भी कम करके बताया गया है। उन्होंने कहा कि अगर ईमानदारी से गणना की जाए तो जो संख्या बताई जा रही है, वह पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसे कई समाजों में हाई कोर्ट के जज, वकील और वाइस चांसलर होते हैं, और इसे जानकर सरकार को गंभीरता की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं संख्या को कम करने या विलोपित करने की कोशिश की गई है। वह भाजपा ने इस मुद्दे को छोड़ने का वादा नहीं किया है और इसे और आगे ले जाने की योजना बनाई है।

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