बिहार की राजनीति में हर दिन कोई न कोई विवाद सामने आने की वजह से चर्चा में रहती है। हाल ही में, आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने अपने ठाकुरों पर पढ़ी कविता के कारण विवाद को कक्षाएं दिलाईं। इसके बाद, आरजेडी नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने महिला आरक्षण पर टिप्पणी की आलोचना की। और अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मंत्री और उनकी पार्टी के पूर्व एमएलसी के बीच बयानबाजी चल रही है। इससे बिहार की राजनीति में अब ‘गदहा’ और ‘लुच्चा’ जैसे शब्दों की एंट्री हो गई है।

यह विवाद बिहार सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह के बयान पर हुआ। उन्होंने एक कार्यक्रम में जदयू के पूर्व एमएससी का नाम लिए बिना गदहा कह दिया था। इसके जवाब में पूर्व एमएलसी ने उन्हें लुच्चा कह दिया।

प्रतिक्रिया देते पूर्व एमएलसी ने कहा, “हमको तो उस लुच्चा के बयान पर जवाब देने का मन नहीं करता है। हालांकि उन्होंने कहा कि 2025 में पता चल जाएगा कि काली अमावस्या किसके घर में है।”

इस बात की जानकारी है कि मंत्री सुमित कुमार सिंह ने दो दिन पहले चकाई विधानसभा क्षेत्र में फरियताडीह तक सड़क निर्माण के कार्यारंभ को लेकर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। वहां उन्होंने पूर्व एमएलसी का नाम लिए बगैर कहा, “चकाई में 5 स्कूल का टेंडर हो गया है, लेकिन अब वो गदहवा कहेगा कि 5 स्कूल का टेंडर हो गया। बताइए मुख्यमंत्री जी कहे थे….। कहा कि विधायक और एक विधान पार्षद को हराकर यहां तक पहुंचे हैं।”

यह पूरे मामले में एक बड़ी बात है कि बिहार की पॉलिटिक्स में अब ‘गदहा’ और ‘लुच्चा’ जैसे शब्दों की एंट्री हो गई है। यह विवाद न केवल नेताओं के बीच है, बल्कि यह लोगों के बीच भी अलगाव का कारण बन रहा है।

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