बिहार शिक्षा विभाग जल्द ही बिहार बोर्ड के पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है।
बता दें कि यह बदलाव नई शिक्षा नीति के तहत किया जाएगा और इसमें कक्षा 1 से 12 तक के पाठ्यक्रम शामिल होंगे। स्कूली शिक्षा में बदलाव की इस प्रक्रिया को साल 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। मालूम हो कि पाठ्यक्रम में बदलाव के बाद किताबें भी पूरी तरह से बदल जाएंगी। बिहार शिक्षा विभाग के अनुसार इसका उद्देश्य पाठ्यक्रम में अन्य बदलावों के साथ क्षेत्रीय भाषाओं को पाठ्यक्रम में समुचित जगह देना है।
बिहार में बिहार की क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई अब तक अलग से नहीं होती थी।
मगर अब नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद प्रारंभ में ही पांचवीं कक्षा तक मगही, भोजपुरी, अंगिका और वज्जिका भाषाओं की पढ़ाई शुरू हो सकेगी। जानकारी के अनुसार नए पाठ्यक्रम और उसकी रूपरेखा के आधार पर पुस्तकों को तैयार करने के लिए नोडल अफसरों की प्रतिनियुक्ति भी कर दी गई है। इसमें डॉ. रश्मि प्रभा और डॉ. वीके कुज्जर शामिल हैं। राज्य शिक्षा शोध और प्रशिक्षण परिषद की टीम तेजी से क्षेत्रीय भाषाओं और पाठ्यक्रमों पर काम कर रही है, जिसका लक्ष्य साल 2022 तक नए पाठ्यक्रम को तैयार करना है।
मालूम हो कि मौजूदा पाठ्यक्रम वर्ष 2005 के आधार पर संचालित है और अब नए पाठ्यक्रम को और भी ज्यादा रचनात्मक बनाने के लिए कार्य प्रगति पर है। जल्द ही इसको लेकर शिक्षकों, शोधार्थियों, छात्रों ओरशिक्षण संस्थानों से भी सुझाव लिए जाएंगे।