जामताड़ा में मकरसंक्रांति मेला की बंदोबस्ती
जामताड़ा में मकरसंक्रांति मेला की बंदोबस्ती बराकर नदी के किनारे हर वर्ष होती है। इस साल जिला परिषद कार्यालय में उप-विकास आयुक्त अनिलसन लकड़ा की मौजूदगी में अब तक की सबसे बड़ी बंदोबस्ती हुई है। इलियास अंसारी ने सबसे अधिक बोली लगाकर मेला अपने नाम कर लिया है।

दुखियों का बाबा माने जाने वाला मंदिर
जामताड़ा जिले के नारायणपुर प्रखंड के करमदाहा में शिव का एक मंदिर है जिसे लोग दुखिया बाबा मंदिर के नाम से जानते हैं। इस मंदिर के पास हर साल करमदाहा मेला आयोजित होता है और लोग इसे बराकर नदी के तट पर लगा हुआ मेला के नाम से जानते हैं।

मेले का इतिहास
कई सदियों से पहले इस मेले का आयोजन होता आ रहा है। यह मेला ब्रिटिश शासन काल के दौरान इलाका कहलाता था और बाद में धनबाद जिले का हिस्सा बना है। इस मेले में कई राजा महाराजा भी शामिल होते थे और उनका शिविर कई दिनों तक लगा रहता था।

मेला का प्राचीनता
मेले का इतिहास बहुत प्राचीन है। कहा जाता है कि इस मेले में स्नान करने से पापों का नाश होता है। इसके बावजूद, इसे आज तक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं किया गया है। मेले में झारखंड के अलावा अन्य राज्यों के व्यापारी भी आते हैं।

जामताड़ा में हर वर्ष मकर संक्रांति पर लगने वाले 15 दिवसीय करामदहा मेले की बंदोबस्ती कर दी गयी है। इस मेले में चंदाडीह लखनपुर गांव के इलियास अंसारी ने सबसे अधिक 59 लाख की बोली लगाकर मेला अपने नाम कर लिया है। जामताड़ा जिला के नारायणपुर प्रखंड में शिव का मंदिर है जिसे लोग दुखिया बाबा मंदिर के नाम से जानते हैं और इस मंदिर के निकट ही यह मेला लगता है। कई राज्यों के लोग इस मेले में आते हैं और इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है।

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