अब बिहार के लोग भी मलेशिया-थाईलैंड में उगने वाले रसीले फल का स्वाद ले सकेंगे। बिहार में सैंकड़ों पौधों में यह फल पककर तैयार भी होने लगा है। जबकि यह फल बाजारों में भी उपलब्ध होने लगा। जिसको खाने का मौका अब आम लोगों को भी मिल रहा है। इस फल का नाम लौगान हैं जिसकी खेती बड़े पैमाने पर मलेशिया और थाईलैंड में की जाती है।
20 रूपए प्रति किलो फल और 100 रुपये पीस बिक रहा पेड़:
जानकारी के अनुसार लौगान फल एक तरह की लीची है। बिहार के मुजफ्फरपुर में इसकी खेती शुरू हुई है। वहां करीब 100 से अधिक पौधों में लौगान फल पककर तैयार भी हो चूका है। जबकि 20 रूपए प्रति किलो के हिसाब से इसकी बिक्री भी शुरू है।
वहीं लौगान फल का एक पौधा 100 रुपये प्रति पीस के हिसाब से बेचा जा रहा है। इसका पौधा पांच सालों में फल देने लाइक हो जाता है। इसका फल बहुत मीठा होता है। इस पौधे को लगाने के लिए किसानों को प्रेरित भी किया जा रहा है।
लौगान और शाही लीची में अंतर:
शाही लीची का परत जहां खुरदरा होते हैं वहीं लौगान की ऊपरी परत सपाट होती है। 15 मई से शाही लीची की फसल पकने लगती हैं जबकि लौगान शुरूआती मानसून के बाद पकने लगता है।
20 रूपए प्रति किलो फल और 100 रुपये पीस बिक रहा पेड़:
जानकारी के अनुसार लौगान फल एक तरह की लीची है। बिहार के मुजफ्फरपुर में इसकी खेती शुरू हुई है। वहां करीब 100 से अधिक पौधों में लौगान फल पककर तैयार भी हो चूका है। जबकि 20 रूपए प्रति किलो के हिसाब से इसकी बिक्री भी शुरू है।
वहीं लौगान फल का एक पौधा 100 रुपये प्रति पीस के हिसाब से बेचा जा रहा है। इसका पौधा पांच सालों में फल देने लाइक हो जाता है। इसका फल बहुत मीठा होता है। इस पौधे को लगाने के लिए किसानों को प्रेरित भी किया जा रहा है।
लौगान और शाही लीची में अंतर:
शाही लीची का परत जहां खुरदरा होते हैं वहीं लौगान की ऊपरी परत सपाट होती है। 15 मई से शाही लीची की फसल पकने लगती हैं जबकि लौगान शुरूआती मानसून के बाद पकने लगता है।
लौगान के फायदे:-
- लौगान लीची इम्यूनिटी को बूस्ट करने वाला फल है।
- ऐसा कहा जा रहा है कि लौगान का नियमित सेवन ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर सकता है।
- लौगान लीची पेट के लिए भी अच्छा है।
- इसे खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है।
- लौगान लीची को खाने से अच्छी नींद आती है।
- सूजन को कम करने के लिए लौगान लीची का इस्तेमाल किया जाता है।