कोविड-19 महामारी के कारण दिल्ली मेट्रो का परिचालन मार्च से ठप हो चुका है। मेट्रो ट्रेनों की सेवाएं चार महीनों से बंद है। जिसकी वजह से दिल्ली मेट्रो रेल निगम को बहुत बड़ा आर्थिक घाटा हुआ है। 20 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि डीएमआरसी 35,198 करोड़ रुपये का इंस्टॉलमेंट देने में असमर्थ हैं। ऐसी स्थिती में डीएमआरसी ने अपनी आर्थिक स्थिली को दूर करने के लिए केंट्र सरकार का दरवाजा खटखटाया है। यह सूचना मिली है कि डीएमआरसी की तरफ से केंद्र सरकार से यह मांग की गई है कि लोन की किश्तों को चुकाने का समय एक साल बढ़ा दिया जाए।
बता दें कि डीएमआरसी ने 35,198 करोड़ रुपये का बड़ा लोन निर्माण कार्यों के लिए जापान इंटरनैश्नल कॉऑपोरेशन एजेंसी से लिया था। इस लोन के किश्तों का भुगतान डीएमआरसी समय पर करता रहा है। अगर लोन की किशतों को चुकाने का समय बढ़ा दिया गया तो डीएमआरसी को इससे काफी राहत मिल सकती है। जानकारी के मुताबिक चार महीनों में तकरीबन 4000 फेरे लगाने वाली मेट्र को 1200 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। यह घाटा दिन पर दिन और भी बढ़ता ही जा रहा है।
जून के महीने में मेट्रों के सारे कर्मचारियों को फिर से काम पर बुला लिया गया था तब ऐसी उम्मीद जताई जा रही थी की मेट्रो ट्रेन की सेवाएं फिर से शुरु होने वाली है। लेकिन कोरोना के बढ़ते प्रकोप की वजह से ऐसा नहीं हो पाया, लेकिन इसके बावजूद डीएमआर अपने 10 हजार कर्मचारियों को सैलरी देने से पीछे नहीं हट रहा है। बता दें कि ऑपरेशन में दिक्कत न आए इसके लिए खाली मेट्रो दिन में कम से कम क बार चक्कर लगा रही है।